नई दिल्ली। देश और दुनिया में कोरोना महामारी ने कोहराम मचा रखा था। दुनिया के लगभग सभी देशों में संक्रमण की तबाही देखने को मिली। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई। यह देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है। ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं।

कोरोना महामारी की वजह से लाखों लोगों ने अपनी जान भी गवाई है। शुक्रवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 524002 है। लेकिन भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़े पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सवाल खड़े कर दिए हैं। डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से 47 लाख लोगों की मौत हुई। इतना ही नहीं, डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई। यह देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है। ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं।

रिपोर्ट के मुताबिक 1.33 करोड़ से लेकर 1.66 करोड़ लोगों की मौत या तो कोरोना वायरस या स्वास्थ्य सेवा पर पड़े इसके प्रभाव के कारण हुई। जैसे कि कोविड मरीजों से अस्पताल के भरे होने के कारण कैंसर के मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया। यह आंकड़ा देशों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और सांख्यिकी मॉडलिंग पर आधारित है। डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 से सीधे तौर पर मौत का विवरण नहीं मुहैया कराया है।

डब्ल्यूएचओ के इस दावे पर भारत के प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सवाल उठाए है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में वैश्विक स्वास्थ्य निकाय द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण से निराश हैं जो ‘सबके लिए एक ही नीति अपनाने’ के समान है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बलराम भार्गव, नीति आयोग के सदस्य  वी के पॉल और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया सहित कई विशेषज्ञों ने रिपोर्ट को अस्वीकार्य और दुर्भाग्यपूर्ण बताया। पॉल ने डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि भारत वैश्विक निकाय को पूरी विनम्रता से और राजनयिक चैनलों के जरिए, आंकड़ों और तर्कसंगत दलीलों के साथ स्पष्ट रूप से कहता रहा है कि वह अपने देश के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली से सहमत नहीं है।

पॉल ने कहा कि दुर्भाग्य से, हमारे लगातार लिखने, मंत्री स्तर पर संवाद के बावजूद, उन्होंने मॉडलिंग और धारणाओं पर आधारित संख्याओं का उपयोग चुना है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे आकार वाले देश के लिए इस तरह की धारणाओं का इस्तेमाल किया जाना और हमें खराब तरीके से पेश करना वांछनीय नहीं है। राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी परामर्श समूह के अध्यक्ष एन के अरोड़ा ने रिपोर्ट को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि कई विकसित देशों की तुलना में भारत की मृत्यु दर सबसे कम है। रणदीप गुलेरिया ने भी रिपोर्ट पर आपत्ति जताई और कहा कि भारत में जन्म और मृत्यु पंजीकरण की बहुत मजबूत प्रणाली है और वे आंकड़े उपलब्ध हैं लेकिन डब्ल्यूएचओ ने उन आंकड़ों का उपयोग ही नहीं किया है।

इस मामले को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विज्ञान झूठ नहीं बोलता, मोदी बोलते हैं। राहुल ने ट्वीट किया, 47 लाख भारतीय नागरिकों की मौत कोविड-19 महामारी से हुई, जबकि सराकर की ओर से 4.8 लाख लोगों की मौत का दावा किया गया है। विज्ञान झूठ नहीं बोलता, मोदी बोलते हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए लिखा, अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति संवेदना है। ऐसे हर परिवार को चार लाख रुपये की मदद दी जाए। 

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