क्या केंद्रीय शिक्षा मंत्री के कारण समाप्त हुआ केंद्रीय विद्यालयों में एडमिशन का सांसद कोटा ?

TRP डेस्क : केंद्रीय शिक्षा मंत्री की सिफारिशों से होने वाले एडमिशन से तंग आकर केंद्रीय विद्यालय संगठन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री और सांसदों के सिफारिश कोटे को समाप्त कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सन् 2017 से 2020 के बीच केंद्रीय विद्यालय में हर साल 16,000 से 20,000 अतिरिक्त छात्रों के प्रवेश हुए क्योंकि वे केंद्रीय शिक्षा मंत्री और सांसदों की सिफारिशों के साथ आए थे। इन छात्रों के आने से विद्यालय प्रबंधन पर अतिरिक्त भार पड़ता था और कक्षा में व्यवस्था भी बिगड़ती थी। क्योंकि यह स्कूल में निर्धारित सीटों की संख्या से अधिक होता था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय विद्यालयों में सामान्य प्रवेश प्रक्रिया के अंतर्गत हर वर्ष लगभग 1 लाख 20 हजार छात्रों को एडमिशन दिया जाता है। लेकिन इन कोटों से एडमिशन के कारण विद्यालय प्रबंधन पर अतिरिक्त छात्रों का बोझ बढ़ रहा था। इसलिए बीते वर्ष शिक्षा मंत्री का विशेष प्रवेश कोटा समाप्त किया गया था, और इसके बाद बीते मंगलवार केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सांसदों की सिफारिश का प्रवेश कोटा भी समाप्त कर दिया है।

सालाना 16 से 20 हजार छात्रों के अतिरिक्त एडमिशन

मीडिया रिपोर्ट्स से प्राप्त जानकारी के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2017-18 से 2021-22 तक सालाना औसतन 18,000 छात्रों का अतिरिक्त एडमिशन केंद्रीय विद्यालयों में हुए हैं। सत्र 2017-18 में 16,624, सत्र 2018-19 में 17,158, सत्र 2019-20 में 16,263 और 2020-21 में 19,572 छात्रों के एडमिशन हुए। जिसके बाद सत्र 2021-22 के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री कोटे को समाप्त कर दिया गया। इस कोटे के समाप्त होने के बाद केवल सांसद कोटे से वर्ष 2021-22 में 7,301 छात्रों के अतिरिक्त एडमिशन करवाए गए थे।

प्रति सांसद 10 छात्र, शिक्षा मंत्री की सिफारिशें असीमित

केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन के लिए प्राप्त इस विशेष कोटे के तहत प्रत्येक सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र से 10 छात्रों के नामों की सिफारिश कर सकते थे। जबकि केंद्रीय शिक्षा मंत्री का कोटा उनके विवेकाधीन था। जिसका इस्तेमाल इस पद पर रहने वाले सभी मंत्रियों ने अपने अपने अनुसार किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पद से पहले मानव संसाधन विकास मंत्री के पद पर आसीन मंत्री इस कोटे का उपयोग किया करते थे।

मंत्री रमेश पोखरियाल ने करवाए सबसे ज्यादा एडमिशन

प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय शिक्षा मंत्री कोटे से एडमिशन की अधिकतम संख्या शैक्षणिक सत्र 2020-21 में रही जब रमेश पोखरियाल इस पद पर थे। इस शैक्षणिक सत्र में देश भर में कुल 12,295 अतिरिक्त एडमिशन हुए थे। वहीं इस कोटे के खत्म होने के ठीक पहले वर्ष 2021-22 के लिए रमेश पोखरियाल ने 16,000 बच्चों के एडमिशन की सिफारिश की थी। हालांकि तब तक यह कोटा समाप्त कर दिया गया था, जिसके कारण इन बच्चों का एडमिशन केंद्रीय विद्यालयों में नहीं हो पाया।

क्यों दिया गया विशेष कोटा

केंद्रीय विद्यालय संगठन से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्रीय शिक्षा मंत्री और सांसदों के इस कोटे का निर्माण इसलिए किया गया था, ताकि सांसदों के क्षेत्र के जरूरतमंद छात्र और कुछ ऐसे छात्र जिनके अभिभावक शासकीय कर्मचारी हैं जिनका सत्र के बीच में भी या अन्य किसी समय पर स्थानांतरण होता है, उन्हें केंद्रीय विद्यालयों में आसानी से एडमिशन मिल सके। लेकिन समय के साथ इन कोटों का दुरुपयोग होने लगा।

कोटा खत्म करने की ये है वजह

केंद्रीय विद्यालय संगठन से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन कोटों को खत्म करने की मुख्य वजह अतिरिक्त भार ही बताया। उन्होंने कहा कि “हमें यह विशेष कोटा खत्म करना ही पड़ा क्योंकि इनके तहत होने वाले एडमिशन स्वीकृत सीट संख्या से अधिक होते थे। उदाहरण के तौर पर यदि किसी स्कूल में प्रवेश की स्वीकृत संख्या 100 है, तो हमें कोटे के तहत 20 अतिरिक्त छात्रों को प्रवेश देना पड़ता और संख्या बढ़ाकर 120 हो जाती थी। जिससे कक्षाओं पर अतिरिक्त बोझ बढ़ जाता था। अब जब कोटा खत्म हो गया है तो हमारे पास इतनी बड़ी संख्या में अतिरिक्त एडमिशन नहीं होंगे। इसका असर आने वाले समय में रिजल्ट की गुणवत्ता में नजर आएगा। हमने अभी जो कदम उठाया है, वह हमें आगे चलकर अच्छे नतीजे देगा।”

सांसदों का यह है कहना

कोटा खत्म होने को लेकर बातचीत में संसद सदस्यों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ सांसदों का कहना था कि अच्छा हुआ और उन्हें इससे ‘राहत’ मिली। क्योंकि उन्हें बड़ी संख्या में प्रवेश अनुरोध मिलते थे और सभी को उपकृत करना मुश्किल था, वहीं कुछ सांसदों का कहना है कि यह फैसला गरीबों को प्रभावित करेगा।

एक सांसद ने कहा कि “यह एक अच्छा फैसला है क्योंकि सिर्फ 10 बच्चों की सिफारिश की जा सकती थी और मुझे हजारों की संख्या में अनुरोध मिलते थे। तो दूसरे हमेशा निराश महसूस करते थे। यदि हमारे पास और सिफारिश करने की शक्ति होती तो अलग बात थी, लेकिन यह विवेकाधीन कोटा नहीं होना ही बेहतर है, जिसका दायरा काफी सीमित है।”

वहीं शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इसका गरीबों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उन्होंने बुधवार को ट्वीट किया कि “सांसद कोटे के 10 के आवंटन के लिए सैकड़ों अनुरोध मिलते थे, जो ज्यादातर गरीबों और जरूरतमंद लोगों के होते थे, इसमें कई सिंगल मदर, पुलिस कर्मी शामिल होते थे। यह बेहद शर्म की बात है कि इसे भी खत्म कर दिया गया है।”

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