झारखण्ड। झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है। सिंगल के ऊपर खूंटी में मनरेगा के धन के कथित गबन और अन्य आरोप लगे हैं। विभिन्न आरोपों से संबंधित शोधन जांच के सिलसिले में पूजा सिंघल लगातार दूसरे दिन प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश हुई थी। जहां उन्हें पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। प्रवर्तन निदेशालय ने पूजा सिंघल के कारोबारी पति अभिषेक झा का भी बयान दर्ज किया है। इसी सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा कोलकाता में छापा भी मारा गया है। वहीं अब खदान आवंटन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 12 मई को होनी है। पलामू में DC रहते हुए सिंगल ने कठौतिया माइंस के लिए जमीन अधिग्रहण करवाया था, जिसपर 12 मई को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई होगी।

ज्ञात हो कि जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी के इस मामले में खान सचिव पूजा सिंघल, झारखंड की पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा समेत कई टॉप अधिकारी संदेह के घेरे में हैं। जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ी को लेकर राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में 2017 में एस.एल.पी दायर किया था, जिसके बाद अंतिम सुनवाई 12 जुलाई 2019 में हुई थी।

दरअसल पलामू के पड़वा स्थित कठौतिया कोल माइंस के लिए 165 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। माइनिंग के लिए आवंटित जमीन में वन भूमि और भूदान की जमीन भी शामिल थी। जिसके बाद इस मामले को लेकर एटक के राजीव कुमार ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए 2015 में राज्यपाल को पत्र लिखा था। राज्यपाल ने मामले की जांच की जिम्मेदारी राजस्व सचिव और कार्मिक सचिव को दी थी। दोनों अधिकारियों के निर्देश पर पलामू के तत्कालीन आयुक्त एनके मिश्रा ने आवंटित जमीन को लेकर कई गड़बड़ियां पकड़ी थीं और मामले में राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। आयुक्त की जांच रिपोर्ट में पलामू की तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी उदय कांत पाठक, पड़वा सीओ आलोक कुमार समेत कई कर्मियों को दोषी माना गया था। हालांकि सरकार ने इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं करते हुए सभी को क्लीन चिट दे दी थी।

हाईकोर्ट ने ख़ारिज की याचिका तो सुप्रीम कोर्ट में डाली अर्ज़ी

साल 2016 में पूरे मामले को लेकर राजीव कुमार झारखंड हाई कोर्ट गए थे। झारखंड हाई कोर्ट में राजीव कुमार की याचिका को रद्द करते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। बाद में राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार के एसएलपी को स्वीकार करते हुए पूरे मामले की सुनवाई शुरू की थी।

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