मार्कफेड भी अब RTI के दायरे में
मार्कफेड भी अब RTI के दायरे में

रायपुर। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने से बचते चले आ रहे छत्तीसगढ़ मार्कफेड को भी अब इस कानून के दायरे में शामिल कर लिया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए छत्तीसगढ़ विपणन संघ मर्यादित को लोक प्राधिकारी घोषित किया है तथा 2 प्रकरणों में सामान्य प्रशासन विभाग को आदेशित किया है कि आदेश के पत्र जारी होने के 45 दिवस में मार्कफेड को लोक प्राधिकारी घोषित कर, वहां पर जन सूचना अधिकारी, अपील अधिकारी तथा सहायक लोक सूचना अधिकारियों की नियुक्ति कराई जावे।

जानकारी मांगी तो थमा दिया ये पत्र

इस प्रकरण में शिकायतकर्ता भाविन जैन रायपुर द्वारा आयोग को बताया गया कि उन्होंने दो आवेदन मार्कफेड में लगाये थे, जिसके तहत मार्कफेड द्वारा खरीदे गए चार पहिया वाहनों के क्रय आदेश की प्रतियां चाही गई थी। मगर मार्कफेड द्वारा यह कह कर सूचना नहीं दी गई कि उनके यहाँ सूचना का अधिकार अधिनियम लागू नहीं है। इस पर शिकायतकर्ता ने सूचना आयोग में दो अलग-अलग शिकायत दर्ज की।

मार्कफेड शासन द्वारा वित्त पोषित संस्था है या नहीं..?

शिकायतकर्ता भाविन जैन द्वारा आयोग के समक्ष तर्क दिया गया कि मार्कफेड सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्था है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय, छत्तीसगढ़ मार्कफेड का गठन मध्य प्रदेश के राज्यपाल द्वारा प्रस्थापित मध्यप्रदेश सोसायटी पुनर्गठन और निर्माण अध्यादेश के तहत हुआ है। मार्कफेड पर शासन का पूर्ण नियंत्रण रहता है, यहां पर सरकारी अधिकारी शासन पदस्थ करता है। छत्तीसगढ़ शासन धान खरीदी के लिए ऋण प्राप्त करने के लिए करोड़ों की बैंक गारंटी देता है, जोकि अप्रत्यक्ष रूप से निधियां उपलब्ध कराने की श्रेणी में आता है।

इस मामले में मार्कफेड द्वारा आयोग को बताया गया कि उस पर शासन का प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं है, केवल निजी निकायों में कसावट लाने के लिए सरकार अधिकारी / कर्मचारियों की पदस्थापना की जाती है। मार्कफेड द्वारा आयोग को बताया गया कि शिकायतकर्ता भाविन जैन संस्था का कोई कर्मचारी भी नहीं है, ठेकेदार भी नहीं है, किसी सोसाइटी का सदस्य भी नहीं है, संचालक मंडल का सदस्य, प्रतिनिधि नहीं है ना ही शिकायतकर्ता का मार्कफेड से कोई व्यापारिक समव्यवहार है। इसलिए भाविन जैन का मार्कफेड में RTI लगाना अनुचित है।

सुको के फैसले का दिया हवाला

सूचना आयुक्त अशोक अग्रवाल ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय डीएवी कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसायटी विरुद्ध डायरेक्टर आफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन के निर्णय का हवाला देते हुए आदेशित किया कि मार्कफेड को केंद्रीय पूल के अंतर्गत दिए जाने वाले चावल के लिए प्रशासनिक व्यय ढाई प्रतिशत प्राप्त होता है। अतः न्याय दृष्टांत के परिपालन में यह स्पष्ट है कि मार्कफेड पर्याप्त रूप से वित्तीय सहायता से वित्तपोषित की श्रेणी में आता है। आयोग ने आदेश में उल्लेखित किया कि छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ द्वारा बैंकों से ऋण लिया जाता है, वह छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गारंटी प्रदान करने के बाद ही दिया जाता है तथा उसी ऋण के माध्यम से मार्कफेड अपने कार्य का संचालन करता है। अगर छत्तीसगढ़ शासन उक्त ऋण के लिए गारंटी प्रदान न करें तो मार्कफेड को अपने कार्यों को निष्पादन करना कठिन होगा। इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ शासन की सहायता के बिना अपने कार्यों का संचालन उत्तम रूप से नहीं कर सकता।

सूचना आयोग द्वारा जारी आदेश पत्र में प्रकरण क्र. सी./671/2019 तथा प्रकरण क्र. सी./403/2018 में निर्णय देते हुए आयोग ने छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग को निर्देशित किया है कि आदेश के पत्र जारी होने के 45 दिवस में मार्कफेड को लोक प्राधिकारी घोषित कर, वहां पर जन सूचना अधिकारी, सहायक जन सूचना अधिकारी तथा अपील अधिकारी नियुक्त करना सुनिश्चित कराएं। इस फैसले के बाद अब मार्कफेड से RTI के तहत जानकारी मांगी जा सकेगी।

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