असंतुष्टों को मनाने की चिंतन शिविर में कोशिश
असंतुष्टों को मनाने की चिंतन शिविर में कोशिश

नई दिल्ली। उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के चिंतन शिविर में पार्टी के नाराज नेताओं की एक प्रमुख मांग को स्वीकार कर लिया गया है। इन असंतुष्ट नेताओं ने कांग्रेस संसदीय बोर्ड के गठन की मांग की थी जिसे पार्टी ने सुझाव के रूप में स्वीकार कर लिया है। अब इस मुद्दे पर कांग्रेस कार्यसमिति की मंजूरी की जरूरत है, जो पार्टी में सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। इससे पहले सभी समितियों के कॉर्डिनेटर्स पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंप चुके हैं।

पार्टी के एक नेता ने कहा, “कांग्रेस संसदीय बोर्ड को पुनर्जीवित करने की असंतुष्ट धड़े की मांग सीडब्ल्यूसी द्वारा स्वीकार किए जाने की संभावना कम ही है, क्योंकि इसे कांग्रेस अध्यक्ष की शक्तियों को कम करने के रूप में देखा जा रहा है.”

संसदीय बोर्ड, जिसका तंत्र कांग्रेस के संविधान में निहित है, इसे पी वी नरसिम्हा राव के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद भंग कर दिया गया था। तब से इसे पुनर्जीवित नहीं किया गया है।

कांग्रेस का संविधान कहता है, “कार्य समिति एक संसदीय बोर्ड का गठन करेगी जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष और नौ अन्य सदस्य होंगे, जिनमें से एक संसद में कांग्रेस पार्टी का नेता होगा। कांग्रेस विधानमंडल दलों की संसदीय गतिविधियों को विनियमित करने और समन्वय करने के उद्देश्य से बोर्ड कांग्रेस अध्यक्ष के साथ समन्वय कर नियम तैयार करेगा।”

उम्मीदवारों के चयन में अहम भूमिका

अगर कांग्रेस संसदीय बोर्ड का गठन करती है तो वह लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के चयन में अहम भूमिका निभाएगी। फिलहाल यह काम पार्टी की चुनाव समिति कर रही है।

कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं का धड़ा, जिसे जी-23 भी कहा जाता है, निर्णय लेने को और अधिक समावेशी बनाने के लिए संसदीय बोर्ड प्रणाली के पुनरुद्धार पर जोर दता रहा है। सूत्रों ने कहा कि गांधी के वफादार इस प्रस्ताव को अनुमति नहीं देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे विवाद की स्थिति पैदा हो गई है।

पार्टी के समक्ष कई हैं सुझाव

सीडब्ल्यूसी उदयपुर में तीन दिवसीय कांग्रेस सम्मेलन के दौरान दिए गए कई अन्य सुझावों पर भी विचार करेगी, जहां शीर्ष नेताओं ने चर्चा कर पार्टी में सुधार और आगामी चुनावी रणनीतियों के लिए तैयार किया है। उन प्रस्तावों में “एक व्यक्ति एक पद”, “एक परिवार एक टिकट”, 50 साल से कम उम्र के लोगों के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित करने, एससी, एसटी ओबीसी और पार्टी में महिलाओं को 50% आरक्षण देने और राज्य एवं क्षेत्रीय स्तर पर समान विचारधारा वाली पार्टियों और गैर भाजपा दलों के साथ गठबंधन करने का प्रस्ताव भी शामिल है। इसके अलावा समिति ने बीजेपी के हिन्दुत्व काट के लिए विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों तक पहुंच बढ़ाने की सिफारिश की है। समिति का मानना है कि इससे पार्टी को उन समुदायों से जोड़ने में मदद मिलेगी।

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