TRP DESK: भारतीय विज्ञापन मानक परिषद ने लैंगिक रूढ़िवाद और लैंगिक चित्रण को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) का कहना है कि इस तरह के विज्ञापन समाज के लिए हानिकारक है।

इस तरह के विज्ञापनों पर भी लगेगा प्रतिबंध

एएससीआई ने कहा है कि उनके द्वारा जारी किया गया निर्देश केवल महिलाओं से संबंधित नहीं है। यह अन्य सभी लिंग वालों के गलत चित्रण पर भी लागू होगा। ऐसा किसी भी तरह का विज्ञापन जिसमें लोगों का उपहास किया जाता है, लैंगिक आधार पर उनका मजाक बनाया जाता है या कोई ऐसा विज्ञापन जिसमें महिला अर्ध वस्त्र में या उत्तेजक मुद्रा में दिखाया जाता है तो इसे गलत या समस्या वाला विज्ञापन मानकर प्रतिबंधित किया जाएगा।

इसके साथ ही एएससीआई के द्वारा विज्ञापनों में दिखाए जाने वाले चित्रों की एक समय सीमा भी तय कर दी गई है। जिसे विज्ञापन देने वाली सभी कंपनियों को मानना होगा।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने ज़ारी किया निर्देश

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस तरह के विज्ञापन पर प्रतिबन्ध के सम्बन्ध में निर्देश ज़ारी किया। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से जारी किये गए निर्देशानुसार किसी भी लिंग के लिए अपमानजनक भाषा या लहजे के जरिये दूसरों पर अधिकार जमाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही विज्ञापन लिंग के आधार पर हिंसा (शारीरिक या भावनात्मक), गैरकानूनी या असामाजिक व्यवहार को बढ़ावा नहीं दे सकते।

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