बिलासपुर। अशासकीय विद्यालयों को स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से किताबें देने के लिए मांगे जा रहे शपथ पत्र और पाठ्य पुस्तक निगम की ही किताबों से अध्यापन कार्य कराने की शर्त के विरोध में छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने हाई कोर्ट बिलासपुर में दायर की थी। एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर आज हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट की ओर से ये फैसला छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के पक्ष में आया है।

बिलासपुर हाईकोर्ट ने याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए स्कूल शिक्षा विभाग को यह आदेशित किया कि प्रदेश के निजी स्कूल अगर कोई दूसरी किताबे भी चलाना चाहते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्यवाही ना की जाए।

किताबें लेने पाठ्य पुस्तक निगम को देना था वचन पत्र

दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को पाठ्य पुस्तक निगम से किताबें लेने के लिए वचन पत्र देने को कहा था। इस वचन पत्र में निजी स्कूलों द्वारा 3 शर्तों का पालन करने कहा गया था। जिनमें पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित पुस्तकों से ही छात्रों को अध्यापन कराना प्रमुख शर्त थी।

इसके अतिरिक्त उन्हें आर.टी.ई की के तहत पुस्तक व्यय के रूप में उपलब्ध कराई जाने वाली राशि मे भी कटौती करने के निर्देश विभाग ने दिए थे। इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन के समक्ष कोविड-19 लॉक डाउन की स्थिति में किताबें विद्यार्थी के घर तक पहुंचा कर उसका विवरण निगम को देने की शर्त रखी गई थी।

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