Agneepath Scheme : 14 जून को ‘अग्निपथ योजना’ के लॉन्च होने के बाद से ही देश भर में बवाल मचा हुआ है। देश के कई राज्यों में इसके विरोध में होती हिंसा को देखते हुए केंद्र सरकार के द्वारा इस योजना में कुछ बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है। जिसके तहत खबर आ रही है कि 25% अग्निवीरों को स्थायी नौकरी देने की सीमा को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाने की योजना है। इस कोटे को हर साल बढ़ाकार 50% तक ले जाया जा सकता है।

जानकारी के अनुसार इस बात पर थल सेना ने सहमति दे दी है। फिलहाल वायु सेना और नौसेना की सहमति बाकी है। क्योकि वायु सेना और नौसेना में थल सेना की अपेक्षा तकनीकी रूप से अधिक दक्ष लोगों की आवश्यकता होती है। रक्षा मंत्री राजनाथ गुरुवार को सैन्य भर्ती प्रक्रिया के फायदों में विस्तार की जानकारी सार्वजनिक कर सकते हैं। वहीं, प्रधानमंत्री ने भी मंगलवार को तीनों सैन्य प्रमुखों के साथ बैठक की थी।

504 बैठकों और 1500 घंटों के विचार-विमर्श के बाद बनी योजना

देश भर में अग्निपथ योजना के विरोध का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह योजना जल्दबाजी में घोषित की गई। इसके लिए पर्याप्त विचार-विमर्श नहीं हुआ। इस पर रक्षा मंत्रालय ने जवाब दिया कि इस मामले पर तीनों सेनाओं, रक्षा मंत्रालय और सरकार के दूसरे विभागों की 250 बैठकें हुईं और करीब 750 घंटे तक विचार-विमर्श के दौर चले। सेनाओं में 150 बैठकें हुईं। 500 घंटे मंथन हुआ। रक्षा मंत्रालय में 60 बैठकें की गईं और 150 घंटे विचार-विमर्श चला। अन्य सरकारी विभागों की 44 बैठकें हुईं और 100 घंटे मंथन हुआ। इन सबके बाद ही इस योजना को लागू किया गया है।

दो दशकों से लंबित थी योजना

अग्निपथ योजना के देशव्यापी विरोध के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सेना ने मंगलवार को फिर से इस योजना की खूबियां गिनाईं। डोभाल ने कहा, इसकी मांग 22-25 साल से लंबित थी। भविष्य की जरूरतें देखते हुए फैसले लेने पड़ते हैं। सैन्य प्रशिक्षण से अग्निवीरों का समाज में सम्मान बढ़ेगा। देश में माहौल बदल रहा है। देश की सुरक्षा व सेना को विश्वस्तरीय बनाना प्राथमिकता है।

सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार

अग्निपथ योजना पर रोक की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अब तक तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं। वहीं, केंद्र सरकार ने इन याचिकाओं पर कोई भी फैसला करने से पहले सरकार का पक्ष सुने जाने के लिए कोर्ट में कैविएट दायर की है। उधर, सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा, अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव नहीं किया गया है। पारंपरिक रेजीमेंट सिस्टम वही है।

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