रावघाट रेल परियोजना में 104 करोड़ का मुआवजा घोटाला
रावघाट रेल परियोजना में 104 करोड़ का मुआवजा घोटाला

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बस्तर रेल विकास प्राधिकरण के पक्ष में बड़ा फैसला देते हुए सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा है और भू अर्जन में घोटाला करके हड़पी गई रकम को वापस करने का आदेश भूस्वामियों को दिया है।

2 लोगों को बांट दिया एक अरब का मुआवजा

रावघाट रेल परियोजना में केवल दो लोगों बली नागवंशी और नीलिमा टीवी रवि को लगभग 104 करोड़ रुपये का मुआवजा बांट दिया गया था। तत्कालीन कलेक्टर डॉ. अय्याज तंबोली के समक्ष मुआवजा वितरण में भारी गड़बड़ी की शिकायत की गई थी। इसमें कहा गया कि कृषि भूमि को कमर्शियल और डायवर्टेड बता कर करोड़ों रुपये अतिरिक्त राशि का वितरण किया गया।। केवल दो लोगों को 3.73 हेक्टेयर भूमि के लिए 95 करोड़ 82 लाख भुगतान किया गया। इनमें बली नागवंशी को 70 करोड़ 62 लाख तथा नीलिमा टीवी रवि को 25 करोड़ 19 लाख का भुगतान किया गया। बाद में दोनों भूस्वामियों ने मुआवजे को कम बताकर अपील की तब इन्हें लगभग साढ़े 8 करोड़ का मुआवजा और दिया गया। कुल मिलकर यह रकम 104 करोड़ रूपये से ज्यादा है।

हाई कोर्ट में दोनों ने सिंगल बेंच में याचिका खारिज होने के बाद डबल बेंच में अपील की। चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस आरसीएस सामंत की बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखते हुए भू स्वामियों को दी गई अतिरिक्त राशि लौटाने का आदेश और प्रशासन को नए सिरे से मुआवजा निर्धारित करने का निर्देश दिया है।

घोटाले के लिए बदल दी गई रेल लाइन की दिशा

ज्ञात हो कि जगदलपुर से लेकर रावघाट तक बिछाई गई रेल लाइन बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड, एनएमडीसी, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार का संयुक्त उपक्रम है। इसमें अनेक लोगों से निजी भूमि अधिग्रहित की गई थी।
बस्तर रेलवे कंपनी ने जगदलपुर तहसील के पल्ली में रेलवे स्टेशन बनाने का प्रस्ताव रखा। दोनों भूमि स्वामी बली नागवंशी और नीलिमा टीवी रवि की यहां जमीन है। आरोप है कि भूमि स्वामियों ने कंपनी के अफसरों से मिलीभगत कर रेल लाइन के अलाइमेंट को बदलवा दिया। जिस जगह पर इनकी जमीन थी वहां से पटरी बिछाने व स्टेशन के लिए नक्शा प्रस्तावित कर लिया गया। राजस्व अफसरों से मिलकर ग्रामीण क्षेत्र की जमीन को शहरी इलाके में बता दिया। इसी के अनुसार फर्जी तरीके से जमीन का डायवर्सन भी करा लिया गया। ऐसा कर दोनों भूमि स्वामी को लगभग 104 रूपये का मुआवजा बांट दिया गया।

तत्कालीन कलेक्टर तंबोली की पहल पर हुई जांच

यह घोटाला मीडिया के जरिये उजागर हुआ तब कलेक्टर अय्याज तंबोली ने मामले की जांच कराई, जिसके बाद तत्कालीन एसडीएम और वर्तमान में सेवानिवृत्त अपर कलेक्टर सियाराम कुर्रे, डिप्टी कलेक्टर दीनदयाल मंडावी, तत्कालीन राजस्व निरीक्षक और वर्तमान में नायब तहसीलदार अर्जुन श्रीवास्तव तथा पटवारी धर्म नारायण साहू सहित 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था। साथ ही फर्जी तरीके से मुआवजा हासिल करने वालों को रकम वापस जमा करने के लिये कहा गया था। सिंगल बेंच में इस आदेश के विरुद्ध अपील की गई। जहां से एफआईआर रद्द करने और मुआवजा वापस नहीं लौटाने की दोनों मांग निरस्त करते हुए जिला प्रशासन के आदेश को सही ठहराया गया था।

2 के खिलाफ दर्ज FIR निरस्त

हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने अपर कलेक्टर हीरालाल नायक, एसडीएम सियाराम कुर्रे, तहसीलदार दीनदयाल मंडावी, उप पंजीयक कार्यालय के लिपिक कौशल ठाकुर, राजस्व निरीक्षक अर्जुन श्रीवास्तव, इरकॉन के अधिकारी सुरेश बी मिताली और ए आर मूर्ति के साथ ही भूस्वामी बली नागवंशी तथा नीलीमा टी रवि के खिलाफ जगदलपुर कोतवाली में दर्ज आईपीसी की धारा 109, 120 बी, 420, 467, 468, 471, 406, 407, 408 और 409 के अंतर्गत दर्ज अपराध को रद्द करने की अपील खारिज कर दी थी और यह छूट दी थी कि जांच के दौरान पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी और सभी आरोपियों को प्रत्येक माह थाने में आकर हाजिरी देनी होगी। अब डबल बेंच ने इरकॉन के अधिकारी सुरेश बी मिताली और ए आर मूर्ति को रहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज FIR को निरस्त कर दिया है।

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