गरियाबंद। अपनी ऋण पुस्तिका पाने के लिए तहसील कार्यालय के महीनों से चक्कर काट रही बुजुर्ग महिला अधिकारी के पैरों पर गिर गई। महिला ने रट हुए बताया कि रिश्वत लेने के बाद भी बाबू उसे घुमा रहा है। महिला की आपबीती सुनकर अफसर का भी दिल पसीज गया। उन्होंने चंद घंटों के भीतर ऋण पुस्तिका बनवाकर महिला को सौंपा और संबंधित बाबू को शो कॉज नोटिस थमा दिया।

कोदोबेड़ा में रहने वाली 60 वर्षीय सुन्दरमणि अपने खो चुके पट्टे (किसान किताब) के लिए पिछले 4 माह से तहसील कार्यालय का चक्कर काट रही थी। परेशान हो चुकी महिला कलेक्टर प्रभात मलिक के नाम आवेदन लिखकर विश्राम गृह में इंतजार कर रही थी। दौरे पर आए कलेक्टर इस बार विश्राम गृह में आये बगैर, बिना भोजन किये ही लौट गए, जिसके चलते महिला की कलेक्टर से मिलने की उम्मीद टूट गई। रेस्टहाइस के दरवाजे पर बैठी महिला पर तहसिलादार समीर शर्मा की नजर पड़ी। महिला से पूछते ही वह फफक-फफक कर रो पड़ी, इतना ही नहीं, वह अधिकारी के पैर के नीचे गिरकर मिन्नत भी करने लगी, सुन्दरमणि के ऐसे हालात को देखते हुए तहसीलदार ने तुरंत जमीन पर बैठ महिला को शान्त कराया, फिर उसकी आप बीती सुनी।

7 हजार मांग रहा था बाबू

कलेक्टर के नाम लिखे शिकायत पत्र में पीड़िता सुन्दरमणि ने बताया है कि पति देखलु राम के नाम पर पटवारी हल्का नम्बर 19 में 1.94 हेक्टेयर जमीन मौजूद है। मार्च माह में धान विक्रय के दरम्यान पट्टा गुम हो गया था। दूसरे पट्टा के लिए अप्रेल माह में नायब तहसिलादार के पास आवेदन देने पहुंची।अधिकारी की गैरमौजूदगी में आवेदन लेने के एवज में कंवर बाबू ने 1200 रुपये लिए। पहली पेशी में फिर 500 रुपये मांगा। 4 पेशी के बाद बाबू ने आदेश होने की बात बताई, फिर 7 हजार रूपये देने पर ही ऋण पुस्तिका देने की बात कही। बुजुर्ग ने बताया कि किसी तरह 2000 रुपये लाकर बाबू को दिया तो उसने वापस कर दिया। पति बीमार है,चलने फिरने में असमर्थ है। महिला पति का इलाज कराने के साथ ही बुढापे में भी मजदूरी घर कर चला रही है।

चंद घंटो में बन गया दस्तावेज

नायब तहसीलदार समीर शर्मा ने सुंदरमणि को दफ्तर बुलाया और तत्काल प्रक्रिया पूरी कर आवेदन मिलने के 4 घण्टे के भीतर ही सुन्दरमणि को किसान किताब की द्वितीय प्रति भेंट कर दिया। पट्टा पाने के बाद महिला अब तहसीलदार व कलेक्टर का आभार व्यक्त कर रही है। तहसीलदार समीर शर्मा ने कहा कि सुन्दरमणि ने इससे पहले कभी समस्या नहीं बताई, जानकारी के अभाव में कई बार गम्भीर मामले छूट जाते हैं। वहीं लेन देन के आरोप पर संबंधित बाबू को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जवाब संतोषप्रद नहीं मिलने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

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