बुरे फंसे शिक्षा सचिव अलोक शुक्ला, वेबिनार में शिक्षकों को कह दिया निकम्मा
बुरे फंसे शिक्षा सचिव अलोक शुक्ला, वेबिनार में शिक्षकों को कह दिया निकम्मा

रायपुर। शिक्षकों के राज्य स्तरीय वेबिनार में शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अलोक शुक्ला कहते हैं कि मुझे बताया जाये कि किस शिक्षक के कार्य को “संतोषजनक” माना जाये और किस शिक्षक को “निकम्मा” कहा जाये। शिक्षकों नेउनके इस कथन का विरोध शुरू कर दिया है। शिक्षक संघों से जुड़े पदाधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि शिक्षकों के बेहतरीन कार्यों के चलते मिलने वाली उपलब्धियों पर तो अफसर अपनी पीठ थपथपाते हैं, और किसी तरह की कमी के लिए शिक्षकों को “निकम्मा” कहकर उनका अपमान कर रहे हैं।

शिक्षकों की कार्यशैली पर उठाया सवाल

दरअसल नवीन शिक्षा सत्र में प्रारंभिक कक्षाओं में गुणवत्ता सुधार हेतु किये जा रहे विभिन्न प्रयासों की जानकारी साझा करने के लिए 30 जून को दोपहर राज्य स्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसे प्रमुख सचिव अलोक शुक्ला संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने शिक्षकों के कामकाज पर टिपण्णी करते हुए कहा कि “समग्र शिक्षा के एमडी साहब मुझे तीन दिन में डॉक्यूमेंट बनाकर दें कि हम शिक्षकों ने क्या कार्य किया, उसका आंकलन कैसे करेंगे, किस प्रकार से आंकलन किया जाएगा शिक्षकों का, उस आंकलन में कौन से शिक्षक को संतोषजनक माना जाएगा, किसको निकम्मा माना जाएगा और किसको अत्यंत अच्छा माना जाएगा।’

शिक्षकों के लिए निकम्मा शब्द का इस्तेमाल करने पर शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने आपत्ति जताई है। शिक्षक प्रतिनिधियों ने कहा कि शिक्षकों के कामकाज के दम पर केंद्र सरकार से पुरस्कार हासिल किए जा रहे हैं, वहीं असफलता का ठीकरा शिक्षकों के सिर पर फोड़ा जाता है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। शिक्षक के चयन की प्रक्रिया जटिल है। हायर सेकंडरी, स्नातक, स्नातकोत्तर, डीएलएड, बीएड, फिर शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर शिक्षक बनने वाले व्यक्ति को निकम्मा कहना निंदनीय है।
बहरहाल यह मामला तूल पकड़ने लगा है और शिक्षक संघों के साथ ही कर्मचारी संगठनो ने भी विरोध जताना शुरू कर दिया है। इस मुद्दे पर संगठनों के अगले रुख का इंतजार है।

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