
बिलासपुर। एसईसीएल की गेवरा ईकाई के CISF पोस्ट में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत जवान ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा है कि उससे 12 से 14 घंटे की ड्यूटी कराई जाती है। इस वजह उसे आराम नहीं मिलता। आला अधिकारी साप्ताहिक अवकाश नहीं देते, जिससे मन अवशादग्रस्त हो जाता है। इस मामले में हाईकोर्ट ने CISF के उप कमांडेंट को जवान की शिकायत का निराकरण का आदेश जारी किया है।

हाईकोर्ट में यह मामला कोरबा जिले में सीआइएसएफ एसईसीएल की ईकाई गेवरा पोस्ट में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत अनुपम देवनाथ ने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के जरिए दायर किया था। जवान का कहना है कि वह लगातार कई दिनों से ड्यूटी कर रहा है। इसके चलते शारीरिक व मानसिक रूप से थक गया है। जवानों को साप्ताहिक अवकाश दिए जाने का प्रवधान है। इसके बाद भी अवकाश नहीं दिया जा रहा है। छुट्टी मांगने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी जाती है।
अवकाश के दिन काम, मगर रजिस्टर में…
अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान ने TRP न्यूज़ को बताया कि CISF के अधिकारी अनुशासन के नाम पर जवानों को अक्सर प्रताड़ित करते हैं। अनुपम देवनाथ के मामले में यह सामने आया है कि अधिकारी उससे साप्ताहिक अवकाश के दिन भी काम करवाते हैं और उधर रजिस्टर पर छुट्टी दिए जाने का उल्लेख करते हैं। अवकाश के दिनों के काम के एवज में अतिरिक्त राशि का भुगतान भी वेतन में नहीं किया जा रहा है।
इसी तरह 8 घंटे की छुट्टी निर्धारित होने के बावजूद उनसे की ड्यूटी ली जाती है। वहीं कार्यस्थल पर कोई सुविधा भी नहीं दी जाती।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि वेतन से अन्य कटौती के नाम पर आला अधिकारी मनमाने तरीके से राशि की कटौती भी कर लेते हैं। इससे मानसिक और आर्थिक दोनों ही तरह की परेशानी से जूझना पड़ रहा है। मामले की सुनवाई जस्टिस आरसीएस सामंत के सिंगल बेंच में हुई।
कोर्ट ने समाधान का दिया आदेश
इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने CISF के बिलासपुर में पदस्थ उप कमांडेंट को आदेश दिया है कि वह जवान अनुपम देवनाथ द्वारा कोर्ट के समक्ष रखी गई शिकायतों का निराकरण करें। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को निराकृत कर दिया है।
अधिकांश जवानों की यही शिकायत
सेना और अर्ध सैनिक बलों में अधिकांश जवानों की इसी तरह की शिकायतें होती हैं। अनुशासन के नाम पर उनसे जरुरत से ज्यादा काम लिया जाता है। छुट्टी नहीं दी जाती और उन्हें कई तरह से प्रताड़ित भी किया जाता है। मगर कार्रवाई के डर से जवान शिकायत करने की हिम्मत नहीं कर पाते। ऐसे जवान अक्सर अवसाद में चले जाते हैं, और आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। CISF के जवान अनुपम देवनाथ ने जो हिम्मत दिखाई, संभव है कि उसके इस कदम से बल में प्रताड़ना झेल रहे दूसरे जवानों का भी भला हो जाये।

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