रायपुर। टाटीबंध चौक से भिलाई की ओर जाने वाली सड़क पर बन रहे ओवरब्रिज का काम तीन साल से भी ज्यादा समय से रुका है। टाटीबंध पार होने के बाद से ही यह ब्रिज अधूरा है, क्योंकि इसके आगे की सड़क पर करीब 8 पक्की दुकानें और 3 लोगों की निजी जमीन है। 1620 वर्गमीटर जमीन का अधिग्रहण ओवरब्रिज के लिए नहीं होने की वजह से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

टाटीबंध से सरोना, रायपुर, बीरगांव और भिलाई की ओर जाने वाली सड़क पर नए ओवरब्रिज बन रहे हैं। बाकी सड़कों पर काम तेजी से हो रहा है, लेकिन केवल भिलाई की ओर जाने वाली सड़क पर काम लगभग ठप है। यहां हैवी ट्रैफिक रहता है।

अब तक अधूरा: 2018 में काम शुरू किया था
फ्लाइओवर बनाने के लिए अगस्त-2018 में टेंडर जारी किया गया था। लेकिन उस समय भी जमीन अधिग्रहण नहीं होने की वजह से टेंडर तकनीकी बातों में उलझ गया था। इस मुश्किल की वजह से करीब एक साल तक टेंडर की प्रक्रिया उलझी हुई थी। एनएचएआई और प्रशासन के अफसर इस मामले में आमने-सामने थे।

दोनों ने ही मामला सुलझाने के बजाय एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ लिया था। यही वजह है कि पांच साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद जमीन अभी तक एनएचएआई वालों को नहीं मिल पाई है।

भिलाई-भनपुरी रोड पर स्थित है जमीन
टाटीबंध चौक पर चार रोड व दो रोटेटरी वाला इंटरचेंज फ्लाईओवर बनाया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट जिस डिजाइन से तैयार किया गया उसके लिए 1620 वर्गमीटर जमीन का अधिग्रहण होना बेहद जरूरी है। भिलाई से भनपुरी रिंग रोड-2 के हिस्से में यह जमीन स्थित है।

टेंडर जारी होने के एक साल भी इस ओवरब्रिज का काम शुरू नहीं हो पाया था, क्योंकि जमीन नहीं मिली थी। लेकिन बाद में अफसरों ने काम शुरू कर दिया। लेकिन अब उसी हिस्से तक ओवरब्रिज पहुंचने का बाद काम रुका हुआ है।

बेहद व्यस्त चौराहा हादसे भी बहुत ज्यादा
टाटीबंध चौराहा बेहद व्यस्ततम चौराहा है। इस चौराहे से भिलाई, दुर्ग, धमतरी, बीरगांव, रायपुर, बिलासपुर, धमतरी समेत दूसरे राज्यों में भी आने-जाने के लिए लोग गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। इस चौराहे से एक दिन में 3 लाख से ज्यादा गाड़ियां गुजरती हैं। इसमें एक लाख से ज्यादा भारी वाहन होते हैं। टाटीबंध चौक की पुरानी बनावट की वजह से अक्सर जाम की स्थिति बनी रहती है। इसलिए एनएचएआई यह चारों ओर नए ओवरब्रिज तैयार कर रहा है। भिलाई-दुर्ग का ओवरब्रिज का काम सबसे धीमी गति से होने की वजह से लोग परेशान हो रहे हैं।