नई दिल्ली। भगवान शिव की आराधना के लिए सावन महीने को धार्मिक मान्यता के अनुसार उत्तम माना गया है। लंबे इंतजार के बाद अब सावन का महीना आ गया है और भगवान शिव के जयकारे से गुंजायमान रहेगा। इस दौरान कांवर यात्रा भी शुरू होने जा रही है। जिसमें शिव भक्तों की ओर से हजारों की संख्या में कांवर यात्रा निकाल सैकड़ों किमी.की पदयात्रा के साथ प्रमुख मंदिरों में जलाभिषेक किए जाएंगे। इस साल कांवड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होने जा रही है।

इसको लेकर दिल्ली सरकार के निर्देश पर दिल्ली पुलिस सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। कांवड़ यात्रा दो साल बाद हो रही है। कोरोना के कारण दो साल तक यह यात्रा नहीं निकाली गई थी। दिल्ली पुलिस के मुताबिक 14 जुलाई से 26 जुलाई तक सुरक्षा और यातायात को लेकर विशेष प्रबंध किए गए हैं। कांवड़ियों के लिए कुछ खास रूट बनाए गए हैं। कांवड़ियों के लिए कुल 338 कैंप लगाए जा रहे हैं। पुलिस ने कांवड़ियों से अपील की है कि वे तय रूट का इस्तेमाल ही करें।

दिल्ली पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

पुलिस ने मोटर चालकों और सड़क का इस्तेमाल करने वाले लोगों से भी यातायात नियमों का पालन करने को कहा है। पुलिस के मुताबिक, कांवड़ियों की यात्रा के दौरान यातायात उल्लंघनों की मौके पर ही फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर जांच की जाएगी और बनती कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली यातायात पुलिस ने कांवड़ियों और सड़क का इस्तेमाल करने वाले आम लोगों की आवाजाही को अलग करने के लिए व्यापक व्यवस्था की है, ताकि आम जनता और भक्तों को असुविधा कम से कम हो। कांवड़ यात्रा के दौरान यातायात को सुचारू रूप से जारी रखने और नियमों का पालन कराने के लिए कुल 1,925 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। वहीं 56 से अधिक क्रेन और पुलिस मोटरसाइकिल भी मुख्य सड़कों और हिस्सों पर तैनात रहेंगी, जहां से तीर्थयात्री गुजरते हैं।

कांवड़ यात्रा के लिए ऐसा होगा रूट

पुलिस के मुताबिक, कांवड़ ले जाने वाले श्रद्धालु अप्सरा बॉर्डर, शाहदरा फ्लाईओवर, सीलमपुर ‘टी’-प्वाइंट, आईएसबीटी फ्लाईओवर, बुलेवार्ड रोड, रानी झांसी रोड, फैज रोड, अपर रिज रोड, धौला कुआं, एनएच-8 से होकर हरियाणा के लिए रजोकरी बॉर्डर से बाहर निकलेंगे।
बता दें कि हर साल लाखों शिव भक्त कांवड़ में गंगा जल भरकर अपने मूल स्थान पर वापस लौटते हैं, जिसे कांड़ यात्रा कहते हैं। बड़ी संख्या में कांवड़िए दिल्ली पहुंचते हैं और उनमें से कुछ दिल्ली की सीमाओं के रास्ते हरियाणा और राजस्थान जाते हैं।

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