सुप्रीम कोर्ट

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के गोमपाड़ में 16 आदिवासियों के मारे जाने के मामले की जांच की मांग को खारिज कर दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर और जे बी पारदीवाला की पीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ता हिमांशु कुमार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार को चार सप्ताह की मोहलत दी गई है।

राज्य सरकार कर सकती है कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में झूठा आरोप लगाने संबंधी केंद्र सरकार की दलील पर कहा कि वे आईपीसी की धारा 211 के तहत कार्रवाई करने का निर्णय छत्तीसगढ़ सरकार पर छोड़ते हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले में केवल झूठा आरोप लगाने का ही नहीं, बल्कि आपराधिक साजिश रचने पर भी कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में अंतर-राज्यीय प्रभाव हो सकते हैं। उन्होंने इस मामले में केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच की मांग करते हुए अदालत से इसे स्पष्ट करने का अनुरोध किया। अदालत ने उनका अनुरोध मान लिया है।

File Photo : इसी झोपड़ी में सोये थे लोग, जब पुलिस ने उन पर हमला किया था

अब न्याय मांगने में डरेगा आदिवासी -हिमांशु

फ़ैसले के बाद हिमांशु कुमार ने कहा कि “यह आदिवासियों के न्याय मांगने के अधिकार पर बड़ा हमला है। अब आदिवासी न्याय मांगने में डरेगा। इससे तो यही साबित होता है कि पहले से ही अन्याय से जूझ रहा आदिवासी अगर अदालत में आएगा तो उसे ही सजा दी जाएगी। इसके साथ-साथ जो भी आदिवासियों की मदद की कोशिश कर रहे हैं, उन लोगों के भीतर भी डर पैदा करेगा।”

16 नक्सलियों को मारने का किया था दावा

साल 2009 में गोमपाड़ में पुलिस ने 16 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया था। लेकिन इस मामले में घायल एक आदिवासी महिला ने दावा किया था कि सुरक्षाबलों ने गांव के निर्दोष लोगों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या की है। 14 साल का अयाता नुलकातोंग नरसंहार के पीड़ितों में से एक था, जिसे एनकाउंटर में वयस्क बताकर मारने की बात कही गयी। इस दौरान कुछ नवयुवक भी मारे गए थे। ग्रामीणों का कहना था कि गोमपाड़ में पुलिस के आने की सूचना पर अधिकांश पुरुष सदस्य भागकर जंगल में एक झोपड़ी में छिप गए थे, जिन्हें पुलिस ने मारा और इसे एनकाउंटर बताया।

File Photo : 14 साल का अयाता और कुछ नवयुवक भी इस ततकथित मुठभेड़ में मारे गए थे

इस मामले में दंतेवाड़ा में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार और अन्य 12 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
लगभग 13 बरसों तक चली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने की भी बात कही थी। लेकिन स्वतंत्र जांच की बात टल गई। इसी साल अप्रैल में केंद्र सरकार की ओर से हिमांशु कुमार और अन्य याचिकाकर्ताओं के ख़िलाफ़ अदालत में आवेदन दिया गया और याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ही सीबीआई या एनआईए से जांच की मांग की गई थी।

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