नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट में छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोगी रहे टीएस सिंहदेव ने हाल ही में पंचायत एवं विकास मंत्री पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया था। सिंहदेव के मंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद सिंहदेव के चाहने वालों एवं प्रदेश के विपक्षी दलों के बीच सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच मनमुटाव होने की चर्चा जोरों से होने लगी, जो एक मुद्दा बनकर विधानसभा में गूंजने के बाद कांग्रेस आलाकमान तक पहुंच गया है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके कैबिनेट सहयोगी टीएस सिंहदेव के बीच जारी खींचतान के बीच दोनों नेता आज कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात करेंगे। सूत्रों ने बताया कि बघेल, कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष राज्य के मंत्री सिंहदेव के साथ अपने मतभेदों के मुद्दे को उठा सकते हैं। सिंहदेव ने हाल में पंचायत मंत्री के रूप में अपना इस्तीफा देते हुए कहा था कि उनके विभाग को कोई निधि उपलब्ध नहीं करायी गयी थी और इसलिए गरीबों को घर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना पर कोई काम नहीं किया जा सका।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की रणनीति बैठक में हिस्सा लेने के लिए बघेल दिल्ली में हैं। वह इस साल के अंत में हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मुख्य पर्यवेक्षक हैं। इस बीच, सिंहदेव भी भोपाल से दिल्ली के लिए रवाना हुए और वह कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे। उनके करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी।

इस घटनाक्रम से पता चलता है कि विधानसभा चुनाव से एक साल पहले दोनों कांग्रेस नेताओं के बीच खींचतान और तेज हो रही है। सिंहदेव ने यह संकेत देते हुए 16 जुलाई को पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे दिया था कि उन्हें राज्य सरकार में अलग-थलग कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री को लिखे अपने चार पन्नों के त्यागपत्र में, सिंहदेव ने दावा किया था कि वह ”वर्तमान परिदृश्य” को देखते हुए जन घोषणा पत्र (चुनाव घोषणापत्र) के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं। जून 2021 में, बघेल और सिंहदेव के बीच कुछ समय के लिए प्रतिद्वंद्विता तब सामने आई थी जब बघेल ने मुख्यमंत्री के रूप में ढाई साल पूरे किए थे।

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सिंहदेव के समर्थकों ने दावा किया था कि 2018 में हुई सहमति के अनुसार, बघेल के आधा कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें (सिंहदेव) मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करना था। हालांकि, बाद में दोनों नेताओं के दिल्ली आने और पार्टी आलाकमान से मिलने के बाद सिंहदेव पीछे हट गए। हाल में उन्होंने सरगुजा जिले के हसदेव अरंड वन क्षेत्र में कोयला खदान परियोजनाओं का विरोध किया और संकेत दिया कि बघेल के साथ मतभेद अभी खत्म नहीं हुए हैं।

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