TRP DESK : शहर में अनेकों व्यावसायिक काम्प्लेक्स, बाजार, दुकाने हैं। इनमें से बहुत सी जगहों पर पार्किंग के लिए जगह नहीं होती हैं। पार्किंग की जगह न होने पर लोगो को मजबूरन गाड़ियां सड़कों पर या दुकानों के सामने खड़ी करनी पड़ती है। जिसकी वजह से राजधानी की सड़कों पर हमेशा ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है। ये समस्या सिर्फ रायपुर की ही नहीं है बल्कि देश के कई राज्यों और उनके क्षेत्रों की भी है।

भोपाल में लागू की जा रही है ये नई व्यवस्था,

ट्रैफिक और पार्किंग की समस्या से निजात पाने के लिए हमारे पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में अब एक नया नियम लागू किया गया है। इस नए नियम के तहत नई गाड़ियां खरीदने वाले लोगों को अब गाड़ी खरीदते समय ही शोरूम में पार्किंग शुल्क जमा करना पड़ेगा इस नई पॉलिसी में टू व्हीलर और फोर व्हीलर गाड़ियां खरीदते हुए ढाई सौ से ₹5000 वाहन पार्किंग शुल्क के तौर पर लिए जाएंगे।

लाइफ टाइम पार्किंग चार्ज पॉलिसी होनी चाहिए,

राजधानी में पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था नहीं है। जिसे लेकर बहुत सी समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं। जिससे निजात पाने के लिए सबसे पहले तो पार्किंग ज़ोन बनाने की आवश्यकता है। हर जगह पर पार्किंग चार्ज ना देना पड़े इसलिए वाहन शोरूम से ही लाइफ टाइम पार्किंग चार्ज पॉलिसी होनी चाहिए। जिससे वाहन चालक अपनी वाहनों को उस पार्किंग ज़ोन में पार्क करें। जिससे वाहन मालिकों को भी किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। इस नियम से वाहन मालिक सरकार द्वारा तय किये गए ही पार्किंग चार्ज देना होगा साथ ही सरकार को पार्किंग में ढेकेदार द्वारा हो रहे घोटाले से भी निजात मिलेगा।

ऐसे करते है ठेकेदार सरकारी राजस्व का घोटाला,

बता दें हमारे पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के नगर निगम जिन पार्किंग स्थलों में विभागीय वसूली करता है, वहां बमुश्किल साल में 10 लाख रूपये भी जमा नहीं होते थे, जबकि यही पार्किंग ठेकेदारों को देने पर करोड़ों में नीलाम होती है। इसके बाद ठेकेदार डिफाल्टर होकर निगम का अधिकांश राजस्व जमा नहीं करते और नए नाम से फिर वसूली करने लग जाते हैं। इस पूरे खेल में निगम की पार्किंग सेल के कुछ कर्मचारी और सरकार के कुछ राजनेता भी शामिल हैं। इसी वजह से निगम ने इस धांधली और नुकसान को रोकने के लिए यह फैसला लिया है। यही समस्या का सामना छत्तीसगढ़ के नगर निगम को भी करना पड़ रहा है।

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