नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों ने आम नागरिकों के साथ ही केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है। भारत में मंकीपॉक्स संक्रमित एक मरीज की मौत की पुष्टि होने की खबर से केंद्र सरकार अलर्ट मोड में आ गई है। केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स के मामलों से निपटने के लिए मौजूदा दिशा-निर्देशों पर पुनर्विचार करने के लिए आज वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई। देश में मंकीपॉक्स के अब तक नौ मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से एक मरीज की मौत हो गई है। एक अधिकारी ने बताया कि यह मौजूदा दिशानिर्देशों पर पुनर्विचार के लिए की गई एक तकनीकी बैठक है। बैठक की अध्यक्षता आपात चिकित्सा राहत के निदेशक डॉ. एल. स्वस्तिचरण कर रहे हैं और इसमें राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।

केंद्र द्वारा मंकीपॉक्स बीमारी के प्रबंधन पर जारी दिशा निर्देशों के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति ने पिछले 21 दिनों के भीतर प्रभावित देशों की यात्रा की है और उसके शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने, लसिका ग्रंथियों में सूजन, बुखार, सिर में दर्द, शरीर में दर्द और बहुत ज्यादा कमजोरी जैसे लक्षण दिखायी देते हैं तो उसे ‘संदिग्ध’ माना जाएगा। दिशा निर्देशों में संपर्क में आए लोगों को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित में पहला लक्षण दिखायी देने और त्वचा पर जमी पपड़ी के गिर जाने तक की अवधि के दौरान उसके एक से अधिक बार संपर्क में आता है तो उसे संपर्क में आया व्यक्ति माना जाएगा।

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यह संपर्क चेहरे से चेहरे का, सीधा शारीरिक संपर्क में आना, जिनमें यौन संबंध बनाना भी शामिल है, उसके कपड़ों या बिस्तर के संपर्क में आना हो सकता है। इसे मंकीपॉक्स का संदिग्ध या पुष्ट मामला माना जाएगा। WHO ने हाल में मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित किया था। उसके अनुसार, मंकीपॉक्स पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला संक्रमण है और इसके लक्षण चेचक जैसे होते हैं।]

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