IAS शाह फैसल की प्रशासनिक सेवा में हुई वापसी

नई दिल्ली। आईएएस अधिकारी शाह फैसल की प्रशासनिक सेवा में वापसी हो गई है। शनिवार को शाह फैसल को केंद्रीय पर्यटन विभाग में उप सचिव के पद पर नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। शाह फैसल सिविल सर्विस एग्जाम 2010 के बैच में टॉपर रहे थे। उन्होंने 3 साल पहले आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर जम्मू-कश्मीर में राजनीति जॉइन की थी। हालांकि, केंद्र सरकार ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया था।

हाल ही में शाह फैसल ने फिर से प्रशासनिक सेवा में आने के लिए आवेदन किया तो केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी और अब कुछ ही महीने बाद बड़ी जिम्मेदारी भी सौंप दी है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने 2 दिन पहले शाह फैसल को बहाल कर दिया है। उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में उप सचिव के पद पर तैनात किया गया है।

‘असहिष्णुता’ के नाम पर दिया था इस्तीफा

इससे पहले शाह फैसल ने जनवरी 2019 में देश में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ का हवाला देते हुए नौकरशाही से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) शुरू की थी। हालांकि, उन्होंने अगस्त 2020 में राजनीति को अलविदा कह दिया। तीन साल बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया और कहा कि वे फिर से नई शुरूआत करने के लिए उत्साहित हैं।

ट्वीट कर क्या कहा था फैसल ने ?

शाह फैसल ने अप्रैल महीने में ट्वीट कर प्रशासनिक सेवाओं में वापसी करने के संकेत दिए थे। तब उन्होंने ट्वीट में कहा था- ‘मेरे जीवन के आठ महीनों (जनवरी 2019 से अगस्त 2019) ने मुझ पर इतना दबाव डाला कि मैं लगभग खत्म हो गया था। एक मिथ्या परिकल्पना का पीछा करते हुए मैंने लगभग वह सब कुछ खो दिया जो मैंने वर्षों में अर्जित किया था। नौकरी, दोस्त, प्रतिष्ठा, सार्वजनिक सद्भावना सब कुछ। लेकिन मैंने कभी उम्मीद नहीं खोई। मेरे आदर्शवाद ने मुझे निराश किया है।’

भाजपा की नीतियों के रहे समर्थक

शाह फैसल को पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के मद्देनजर गिरफ्तार किया गया था।

अपनी रिहाई के बाद अगस्त 2020 में फैसल ने राजनीति छोड़ दी और सरकारी सेवा में वापस आने के संकेत देने लगे। वह सोशल मीडिया पर वर्तमान भाजपा सरकार की नीतियों के प्रबल समर्थक रहे। वह अक्सर अपने ट्विटर हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के भाषणों को साझा करते रहे।

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