कर्जदारों के खिलाफ भी दर्ज

बेमेतरा। इंडियन ओवरसीज बैंक से 14 करोड़ 56 लाख की धोखाधड़ी के मामले में बैंक प्रबंधन और 4 दलालों के खिलाफ FIR दर्ज करने के बाद बैंक प्रबंधन ने उन 180 ग्राहकों के खिलाफ भी अपराध दर्ज करा दिया है, जिन्हें ऋण दिया गया था। बैंक के नए प्रबंधक द्वारा इस मामले की जांच के दौरान अनेक गंभीर खामियां मिली, जिसके बाद 14 करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

अंधाधुंध ऋण दिए जाने के चलते हुआ शक

इंडियन ओवरसीज बैंक की बेमेतरा शाखा की आंतरिक जांच में निलबिंत शाखा प्रबंधक विनीत दास द्वारा किये गए फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। दरअसल विनीत ने अपने कार्यकाल में अंधाधुंध ऋण बांटा। इसके अलावा संपत्ति का निर्माण न करना, ग्राहक द्वारा संदिग्ध बिल व नकली चालान प्रस्तुत करना, यूनिट का न होना, सार्वजनिक धन का डाइवर्जन इत्यादि प्रक्रियाओं के लिए निर्धारित नियमों का घोर उल्लंघन किया गया है।

पता और GST नंबर फर्जी निकले सप्लायर के

बैंक के आंतरिक जांच में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं , जिसमें मुख्य रूप से कुछ मामले में यूनिट बंद मिले, स्व सहायता समूहों को ऋण के मामले में पहली व दूसरी किश्त में उच्च राशि की स्वीकृति, ग्राहक के हस्ताक्षर के बिना खातों के बीच अनाधिकृत हस्तांतरण और एसएचजी पदाधिकारियों के बिना हस्ताक्षर से नगदी निकासी, जहां हस्ताक्षर मेल नही खाते। कृषि फार्म मेकाज्जिम सावधि ऋण के मामले में डीलर के खाते में स्वीकृत ऋण राशि का हस्तांतरण किया गया, लेकिन संपत्ति उपलब्ध नहीं थी। कुछ मामलों में सप्लायर के जीएसटी नंबर फर्जी थे एवं ऋण स्वीकृति करते समय शाखा द्वारा सप्लायर का पता भी सत्यापित नही किया गया था।

7 की बजाय 10 लाख रूपये का लोन

मत्स्य विभाग को झूठा सैद्धांतिक स्वीकृति पत्र जारी कर ऋण लेने वाले उपभोक्ताओं को सात-सात लाख रुपए मत्स्य सावधि ऋण स्वीकृत करने की बात कही गई है, लेकिन शाखा के केसीसी ऋणों में प्रत्येक को दस-दस लाख रुपए मंजूर किए गए हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि इन स्वीकृत ऋण से संबंधित यूनिट मौजूद नहीं है। मत्स्य विभाग से ऋण स्वीकृत करने के लिए आवेदन प्राप्त हुआ, जहां पूंजी सब्सिडी उपलब्ध हैं, लेकिन शाखा ने केसीसी योजना के तहत ऋण स्वीकृत किया। वहीं शाखा द्वारा सब्सिडी का दावा नहीं किया गया।

बिचौलियों की रही प्रमुख भूमिका

14 करोड़ रूपये से भी आधी की इस धोखाधड़ी में बिचौलियों कमलेश सिन्हा, जीवन सिंह वर्मा, नागेश कुमार वर्मा और टीकाराम माथुर की अहम भूमिका रही। शाखा प्रबंधक ने अपने कार्यालय में बैंक द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का बिचौलियों और तीसरे पक्षकार से मिलिभगत कर विभिन्न ऋणों की स्वीकृति ग्राहकों को दी। ग्राहकों के खाते में कई अनधिकृत लेन-देन भी किए गए। यह भी पाया गया कि राशि का हस्तांतरण एक ग्राहक के खाते से अन्य ग्राहक के खाते या बिचौलियों के खाते में बिना हस्ताक्षर और खाताधारक के उचित निर्देश के बिना किया गया है। इससे लगता है कि ऋणियों के खातों का संचालन भी बिचौलियों के द्वारा किया गया।

इंडियन ओवरसीज बैंक की स्थानीय शाखा के क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर से मिली जांच रिपोर्ट में आपराधिक षडयंत्र कर बैंक के नियमों का उल्लंघन करते हुए वित्तिय अनियमितता व अवैधानिक रूप से खातों में धन राशि अंतरण कर बैंक से 14 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी की पुष्टि हुई। रज्जु पाटनवार, शाखा प्रबंधक, इंडियन ओवरसीज़ बैंक, बेमेतरा ने बताया कि बैंक की आंतरिक जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई है। इसके बाद उच्च अधिकारियों के निर्देश पर सभी 180 कर्जदारों के खिलाफ सिटी कोतवाली में अपराध दर्ज कराया गया। वहीं इस मामले में नामजद आरोपी पूर्व शाखा प्रबंधक विनीत दास और 4 अन्य बिचौलियों के खिलाफ धारा 420, 409, 120 बी, 34 भादवि के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बाद नामजद पांच आरोपी फरार हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है।

छत्तीसगढ़ में संचालित शासकीय तथा निजी बैंकों में धोखाधड़ी का इस तरह का संभवतः यह पहला मामला है। जिसमे प्रबंधक की मिलीभगत से करोड़ों की धोखाधड़ी की गई। हालांकि इस मामले में ओवरसीज बैंक के अन्य कर्मचारियों और उच्चाधिकारियों की अनदेखी भी नजर आ रही है। बेमेतरा की शाखा में 14 करोड़ से अधिक के ऋण बंट गए और उच्च शाखा में पदस्थ अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अगर सतर्कता बरती गई होती तो इस तरह की धोखाधड़ी को समय रहते रोका जा सकता था।

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