कैंसर इंस्टिट्यूट के टेंडर में CGMSC के अधिकारियों ने की गड़बड़ी, ठेकेदार ने दी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी

बिलासपुर। कोनी में प्रस्तावित स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट के भवन निर्माण के टेंडर में कमेटी द्वारा गड़बड़ी का प्रयास किया गया है। इस ठेके में शामिल एक फर्म के संचालक ने पात्र होते हुए भी प्रतिस्पर्धा से बाहर करने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री और निविदा समिति के प्रमुख से लिखित में शिकायत की है। हालांकि अधिकारी अब भी उन्हें गोलमोल जवाब दे रहे हैं, जिसके चलते ठेकेदार ने हाई कोर्ट जाने तक की चेतावनी दे दी है।

छुट्टी के दिन खोला गया टेक्निकल बीड

बिलासपुर के कोनी में 40 एकड़ जमीन पर 115 करोड़ रुपये का कैंसर हॉस्पिटल सन् 2019 में मंजूर किया गया था। इसकी लागत केंद्र व राज्य सरकार मिलकर वहन कर रहे हैं। इसके भवन निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) ने 27 करोड़ रुपये की निविदा निकाली थी, जिसे 29 जुलाई 2022 तक ऑनलाइन जमा करना था। कुल 8 लोगों ने टेंडर जमा किया। शुक्रवार 19 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन छुट्टी और कर्मचारियों हड़ताल होने के बावजूद टेंडर खोला गया। इसमें चार ठेकेदारों को अपात्र घोषित कर दिया गया और मौके से ही सभी को इसकी सूचना भेजी गई।

यहसूचना अपात्र किए गए एक दावेदार अशोक कुमार मित्तल को भी ई मेल जरिये सूचना दी गई। अशोक कुमार मित्तल ने TRP न्यूज़ को बताया कि शुक्रवार शाम 5 बजकर 30 मिनट पर उन्हें सूचना दी गई कि टेक्नीकल बीड खोले जाने के बाद आपके द्वारा जमा दस्तावेज में कांक्रीट मिक्सिंग करने के लिए बेचिंग प्लांट के संबंध में जानकारी अधूरी है। मित्तल के मुताबिक उन्होंने तत्काल फोन पर CGMSC लिमिटेड के अधीक्षण अभियंता सुनील कुमार सिंह से बात कर पूरे दस्तावेज होने और उनके पास प्रदेश भर में खुद का 12 बेचिंग प्लांट होने की जानकारी दी, बावजूद इसके उन्हें गोलमोल जवाब दिया गया।

फाइल चित्र : बेचिंग प्लांट

तत्काल खोल दिया प्राइज बीड

अशोक कोमल मित्तल ने बताया कि जन्माष्टमी के दिन टेक्निकल बीड खोला गया मेरे अपात्र होने की सूचना शाम लगभग 5 बजकर 30 मिनट को मेल के जरिये दी गई। इस पर उनके द्वारा तत्काल आपत्ति किये जाने के बावजूद कुछ ही देर बाद प्राइज बीड खोल दिया गया। लगातार छुट्टियां होने के चलते अशोक मित्तल मंगलवार को राजधानी रायपुर स्थित CGMASC के कार्यालय पहुंचे और सीजीएमएससी लिमिटेड के अधीक्षण अभियंता सुनील कुमार सिंह को इसकी शिकायत की। सिंह ने उनको बताया कि दस्तावेज में कांक्रीट मिक्सिंग के संबंध में जानकारी अधूरी है। मित्तल ने ऑनलाइन भरे गए दस्तावेज को कार्यालय में ही ऑनलाइन कंप्यूटर पर दिखाते हुए कहा कि ये सभी नियमानुसार अपलोड किए गए हैं। इस पर सुनील कुमार ने माना कि मित्तल के दस्तावेज पूरे हैं, पर समिति के सदस्य टेंडर खोलते समय इसे नहीं देख सके।

CGMSC की टेंडर कमेटी की गलती तो पकड़ी गई मगर अधीक्षण अभियंता सुनील कुमार सिंह ने तत्काल कोई कार्यवाही करने की बजाय अशोक मित्तल से यही कहा कि वे समिति के समक्ष उनकी शिकायत रख देंगे, जबकि अशोक मित्तल की मांग थी कि अब उनकी प्राइज बीड भी खोली जाये। अधीक्षण अभियंता सुनील कुमार सिंह द्वारा गोलमोल जवाब दिए जाने के बाद अशोक मित्तल ने यह चेतावनी दी है कि अगर उनके साथ न्याय नहीं हुआ तो वे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बता दें कि कोरबा निवासी ठेकेदार अशोक कुमार मित्तल राज्य स्तरीय ठेकेदार हैं और उन्होंने अब तक राज्य भर में कई बड़े ठेके हासिल करके निर्माण कार्यों को पूरा किया है। हालांकि उन्होंने पहली बार CGMSC में भवन निर्माण के लिए निविदा भरी मगर षड्यंत्र पूर्वक उन्हें निविदा प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी CGMSC में पहले से ही काफी गड़बड़ियां रही हैं और यहां पूर्व में करोड़ों का भ्रष्टाचार उजागर हो चुका है। इस बार भी अपने चाहते ठेकेदार को टेंडर दिलाने के फेर में टेंडर कमेटी ने गड़बड़ी की, मगर संबंधित ठेकेदार के आपत्ति के चलते मामला उजागर हो गया है। अशोक मित्तल ने इसकी शिकायत स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और निविदा समिति से की है। उधर अधीक्षण अभियंता सुनील कुमार सिंह का कहना है कि अभी टेंडर फाइनल नहीं किया गया है। इसकी प्रक्रिया अभी चल रही है। देखना है कि करोड़ों के इस टेंडर को लेकर CGMSC के अधिकारी क्या फैसला करते हैं।

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