बॉलीवुड डेस्क। टीचर्स का स्टूडेंट के सक्सेसफुल लाइफ में महत्वपूर्ण योगदान होता है। बचपन से लेकर बड़े होने तक शिक्षक हमें कई बातों का अनुभव करवाते हैं। ऐसे में आज का दिन छात्रों और शिक्षको के रिश्ते के लिए विशेष दिन होता है, वहीं बॉलीवुड में हर साल ऐसे टीचर और स्टूडेंट के रिश्ते को समय – समय पर फिल्म के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। इसी क्रम में बॉलीवुड में शिक्षक के महत्व और छात्रों के साथ शिक्षकों के संबंध को बताने वाली कई फिल्में बनी हैं। आईये जानते हैं,ऐसे ही कुछ बॉलीवुड फिल्मों के बारे में जो टीचर और स्टूडेंट के रिश्ते को खूबसूरती से दर्शाती हैं।

3 इडियट्स (3 Idiots)

राजकुमार हिरानी की फिल्म 3 इडियट्स भी छात्र और टीचर के रिश्ते को बाराकी से दिखाती है। इस फिल्म में बोमन इरानी ने वीरू सहस्त्रबुद्धि नाम के प्रिसिंपल का किरदार निभाया था। भले ही वीरू सहस्त्रबुद्धि फिल्म में टीचर था लेकिन उसको आमिर खान ने जिंदगी का पाठ पढ़ा दिया था।

मुन्नाभाई एमबीबीएस,

कॉलेज में आने की उम्र से काफी आगे बढ़ चुका मुन्ना ( संजय दत्त) सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में मिसफिट है। उनके और कॉलेज के डीन डॉ. अस्थाना (बोमन ईरानी) के बीच एक कोल्ड वार पूरी फिल्म में कभी गुदगुदाती है, तो कभी इमोशनल भी करती है।

पाठशाला,

पाठशाला एक ऐसी फिल्म है, जो इंडियन एजुकेशन सिस्टम पर बात करती है। पाठशाला आज की शिक्षा प्रणाली की पवित्रता से जुड़े ऐसे ही कई सवालों के जवाब देने की कोशिश करती है। यह आज के स्कूलों में कमियों और गलत कार्यों पर भी प्रकाश डालता है। कॉम्पीटिशन और मनी-मेकिंग आइडियोलॉजी के चक्कर में किस तरह बच्चों का भविष्य निशाने पर है, यह उस मुद्दे को दर्शाती है। वहीं इस फिल्म में ऐसे लोगों से लड़ने के लिए राहुल उदयावर (शाहिद कपूर) जैसे टीचर्स हैं, जो बच्चों के भविष्य के लिए आवाज उठाते हैं।

दो दूनी चार

दो दूनी चार, 2010जिंदगी में आपका पाला भी ऐसे टीचर्स से हुआ होगा, जो बहुत ईमानदार और अपने काम को लेकर निष्ठावान होते हैं। परिवार की खुशी के लिए वह रिश्वत लेने की कोशिश करता है, मगर उसे अपने बच्चे का अंधकार में डूबता भविष्य नजर आता है। वह रिश्वत मना करके बच्चे को मन लगाकर पढ़ने की हिदायत देता है।

हिचकी (Hichki)

साल 2018 में ही रिलीज हुई फिल्म ‘हिचकी’ ने दर्शकों के दिल को छू लिया था। फिल्म ने भले ही बॉक्स ऑफिस पर कमाल ना किया हो, लेकिन एक शैक्षिक के नजरिए से यह फिल्म आपको बहुत कुछ सिखाती है। फिल्म में रानी मुखर्जी ने एक टीचर का किरदार निभाया था, जो हिचकी की समस्या से जूझ रही है। फिल्म में रानी ने अपनी इस समस्या को ताकत बनाकर स्कूल के बच्चों को नये तरीके से पढ़ाकर एक मिसाल कायम की।

सुपर 30 (Super 30)

साल 2019 में रिलीज हुई फिल्म ‘सुपर 30’ एक ऐसे टीचर की कहानी है, जो अपने सपने के टूटने के बाद 30 गरीब बच्चों को चुनता है। उन्हें पढ़ाता है और वे सभी ‘आई आई टी’ एंट्रेंस परीक्षा पास कर लेते हैं। इस फिल्म में टीचर ‘आनंद कुमार’ की भूमिका ऋतिक रोशन ने निभाई है। आनंद सर अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ इन बच्चों को आईआईटी की परीक्षा के लिए ऐसे तैयार करते हैं, इनमें से किसी के फेल होने का कोई चांस ही नहीं होता. हालांकि, इसके लिए उन्हें अपना सबकुछ गंवाना पड़ जाता है। ‘आनंद कुमार’ बिहार से ताल्लुख रखते हैं।

तारे जमीन पर (Taare Zameen Par)

साल 2007 में आई फिल्म ‘तारे जमीन पर’ की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है। फिल्म आपको हंसाती भी है, वही दूसरे मोड़ पर इमोशनल भी कर देती है। इस फिल्म में एक ऐसे बच्चे की कहानी दिखाई गई है जो डिस्लेक्सिया नाम की बीमारी से ग्रसित है, लेकिन वहीं उसके माता-पिता उसकी परेशानी समझने की बजाय जबरदस्ती उसका एडमिशन बोडिंग स्कूल में करवा देते हैं। जहां आखिरकार उसकी मुलाकात अपने आर्ट टीचर रामशंकर निकुंभ सर (आमिर खान) से होती है। जब हर कोई नन्हें ईशान (दर्शील सफारी) के सामने हाथ खड़े कर चुका था, वहीं निकुंभ सर उसे एक अलग तरीके से पढ़ाते हैं और ईशान को भी आम बच्चों जैसा पढ़ाई में होशियार बना देते हैं।

ब्लैक (Black)

महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) और रानी मुखर्जी के लीड रोल वाली इस फिल्म में एक टीचर और स्टूडेंट का बेहद खूबसूरत रिश्ता दिखाया गया है। यह फिल्म साबित करती है कि जब एक टीचर अपने किसी स्टूटेंड का हाथ थामता है तो वह क्लास रूम की उन चार दीवारी को तोड़कर पूरी दुनिया का ज्ञान उसे देने की कोशिश में जुट जाता है। फिल्म के कुछ सीन्स तो इस बात का भी प्रमाण है कि शिक्षक अपने पेश के प्रति हमेशा वफादार रहता है।

स्टेनली का डिब्बा (Stanley Ka Dabba)

स्टेनली का डब्बा वर्ष 2011 में रिलीज हुई फिल्म है। यह कहानी है स्टैलनी नाम के लड़के कि जो आपने स्कूल में सबसे होनहार छात्र है। इस फिल्म में एक अनाथ बच्चे की दिल छू जाने वाली कहानी दिखाई गई है। उसे स्कूल से सिर्फ इसलिए निकाल दिया जाता है, क्योंकि वह अपना लंच लेकर नहीं आता था। ऐसे में उसका हाथ थामती हैं मिस रोज (दिव्या दत्ता) फिल्म में एक स्कूल के अच्छे और बुरे दोनों ही पहलुओं फिल्म के माध्यम से पेश किया गया है।

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