NCCEBL

रायपुर। पिछले 8 दिनों से छत्तीसगढ एवं जम्मू कश्मीर सरकार एवं प्रशासन से नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर द्वारा 90 बंधुआ मजदूरों को बड़गाम जिले के ईंट भट्टे से मुक्त कराने का प्रयास जारी है।इस प्रयास का ही परिणाम है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आदेश पर प्रशासन ने त्वरित कार्यवाही करते हुए जांजगीर चांपा से एक टीम बनाकर बड़गाम जम्मू कश्मीर भेजा। हालांकि इस बीच बड़गाम जिला प्रशासन से सहयोग नहीं मिलने पर बंधुआ मजदूर मायावती की शिकायत पर आज 90 बंधुआ मजदूरों का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार पहुंच गया है।

मामले में लीपापोती का प्रयास

नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर (NCCEBL) के संयोजक निर्मल गोराना ने बताया कि 15 सितम्बर की सुबह में ही प्रशासन की ओर से कई प्रतिनिधि व मिडिया के प्रतिनिधि पहुंचे जिनमें से कई लोगों ने अपने आप को डीएम बताया तो मजदूरों ने कहा कि आपके जिले में कितने कलेक्टर होते हैं, क्योंकि हमारे जांजगीर-चांपा का तो एक ही कलेक्टर होता है। इस बड़गांव जिले में जो भी हमसे मिलने आ रहा है अपने आप को कलेक्टर बोलता है और हमें कागज पर साइन करने के लिए दबाव दे रहा है, ऐसे में हम कैसे पहचान करें कि हमें कौन सुरक्षा देगा और हमारा बयान कौन दर्ज करेगा। अंत में मजदूरों ने परेशान होकर एक पत्र पर अपने बयान स्वयं अपने हाथ से लिखे और उस पत्र पर केवल एक ही मजदूर का साइन मांगा जा रहा था, तब 5-6 मजदूरों ने साइन करके बयान का कागज अपने आप को डीएम बताने वाले व्यक्ति को दे दिया गया

पुलिस ने मजदूरों से की मारपीट

इसके बाद मौके पर उपस्थित पुलिस ने मजदूरों को धक्का देना शुरू कर दिया। मजदूर और पुलिस आपस में बहस करने लगे, तब पुलिस ने कुछ मजदूरों को पीट दिया और सभी मजदूरों को कार्यस्थल ईंट भट्टे से बाहर निकाल दिया। मजदूर लगभग 15 से 20 किलोमीटर पैदल चलकर, जिनमें गर्भवती महिलाएं एवं धात्री माताएं एवं वृद्ध मजदूर तथा नन्हे नन्हे बच्चे थे, सड़क पर निकल गए और सभी ने ठान लिया था कि अब वह बड़गांव के डिप्टी कमिश्नर से मिलेंगे और मुक्ति की गुहार उनसे लगाएंगे।

डिप्टी कमिश्नर से मिला केवल आश्वासन

मजदूर शाम तक डिप्टी कमिश्नर बड़गांव के कार्यालय पर पहुंच गए और डिप्टी कमिश्नर से मिलने के लिए उनके कार्यालय के बाहर डेरा लगाए बैठ गए। इस बीच डिप्टी कमिश्नर ने मजदूरों से मुलाकात कर उनका पक्ष जाना और कहा कि वे उनके साथ हैं, और उनके साथ कोई भी अहित नहीं होने देंगे। हालांकि उन्होंने तात्कालिक तौर पर किसी भी अधिकारी को कार्रवाई के लिए कोई आदेश नहीं दिया।

जांजगीर की टीम पहुंची बड़गाम

इस बीच पता चला है कि जांजगीर से भेजी गई जिला प्रशासन की टीम बड़गाम पहुंच गई है और उनकी मजदूरों से भी मुलाकात हुई है। यह मुलाकात आज शाम लगभग 7 बजे हुई है और संभवतः मजदूरों को वापस लाने की प्रक्रिया कल की जाएगी।

मजदूरों की ये है मांग

मजदूरों ने बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत कार्यवाही की मांग की है और उनकी यही मांग है कि डीसी मजदूरों का बयान दर्ज करें, फिर पूर्ण जांच करें। उसके बाद एक रिलीज ऑर्डर के साथ उन्हें पुलिस संरक्षण में छत्तीसगढ़ तक पहुंचाया जाए, मगर NCCEBL का आरोप है कि मजदूरों के बयान में फेरबदल के प्रयास में जुटा बड़गांव प्रशासन बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 के कानून का उल्लंघन कर रहा है।

निर्मल गोराना ने आगे बताया कि बड़गाम प्रशासन बार-बार बंधुआ मजदूरों से, जो खुद गुलामी से जकड़े हैं, से गुलामी का सबूत मांग रहा है, जबकि बर्डन ऑफ प्रूफ बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 की धारा 15 के तहत प्राथमिक नियोक्ता पर है, न कि बंधुआ मजदूर से। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बंधुआ मुक्ति मोर्चा बनाम भारत सरकार के मामले में 1983 में कहा की यदि किसी को कर्ज देकर काम लिया जा रहा है तो कोर्ट को भी यह अनुमान लगाते मानना पड़ेगा की श्रमिक बंधुआ मजदूर है।

मानवाधिकार आयोग में मामला हुआ रजिस्टर्ड

इस बीच बंधुआ मजदूर मायावती के नाम से आज 90 बंधुआ मजदूरों का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंच गया है और इसे यहां पंजीबद्ध (केस नंबर 15459/2022) कर लिया गया है। कल इस मुद्दे को लेकर निर्मल गोराना राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जायेंगे।

बहरहाल ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रदेश से पलायन करके गए मजदूरों ने कार्यस्थल पर हो रही ज्यादती के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है, उनकी यही मांग है कि ईंट भट्ठे के मालिक द्वारा उनके साथ किये जा रहे व्यवहार का सच सामने आये। देखना है कि उन्हें छत्तीसगढ़ से गई टीम के पहुंचने के बाद किस तरह का सहयोग मिल पाता है।

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