DMF PORTAL
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रायपुर। छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास के व्यवस्थापक और खनिज विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने सभी जिलों में DMF की जानकारी सार्वजनिक नहीं करने और मद के रूपये नियम के विपरीत खर्च करने को लेकर नाराजगी जताई थी। साथ ही कुछ जिलों का उल्लेख करते हुए DMF का स्टेटस अपडेट करने का निर्देश भी दिया था, मगर ये जिले आज भी DMF पोर्टल में कोई भी जानकारी देने से बच रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री ने भी कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में DMF के अनाप-शनाप खर्च करने बचने का निर्देश दिया है।

छत्तीसगढ़ में जिला खनिज संस्थान न्यास (DMFT) को लेकर चर्चा अब भी जोरों पर है। जिलों में DMF के फंड का गाइडलाइंस के खिलाफ जाकर खर्च करने की तमाम शिकायतों के बाद छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास के व्यवस्थापक और खनिज विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने पिछले महीने ही सभी जिलाधीशों को कड़ा पत्र जारी किया था। इसमें विशेष तौर पर चार जिलों कोरिया, कोरबा, सुकमा एवं बेमेतरा का उल्लेख करते हुए लिखा गया था कि इन जिलों में DMF मद से होने वाले खर्चों सहित अन्य जानकारियां DMF पोर्टल में अपडेट नहीं की जा रही है।

पहले भी जारी हो चुके हैं दिशा-निर्देश

DMF के व्यवस्थापक द्वारा कलेक्टरों को जारी पत्र में पूर्व के दो पत्रों का उल्लेख भी किया गया है कि इस संबंध में 20 जनवरी 2021 तथा 31 जनवरी 2022 को जारी निर्देश अनुसार दिनांक 15 फरवरी 2021 के पश्चात सभी जिलों को डीएमएफटी के सभी कार्यों का संचालन डीएमएफ पोर्टल के माध्यम से अनिवार्यतः किया जाना है, लेकिन कोरबा, कोरिया, सुकमा एवं बेमेतरा जिला द्वारा न्यास के समस्त कार्यों का संचालन पोर्टल के माध्यम से नहीं किया जा रहा, जो कि न्यास के उद्देश्यों के विपरीत है।

यहां पिछले डेढ़ साल से पोर्टल में अपडेट बंद

DMF के व्यवस्थापक परदेशी ने अपने पत्र में संबंधित जिलों का उल्लेख तो कर दिया है, मगर क्या इन जिलों ने पत्र मिलने के बाद भी पोर्टल में जानकारियां अपडेट की हैं ? यह जानने के लिए हमने DMF PORTAL को खोलकर देखा तब पता चला कि कोरबा जिले के DMF शाखा से पिछले डेढ़ साल से कोई भी जानकारी डाली ही नहीं गई हैं। पता चला है कि पूर्व कलेक्टर रानू साहू ने जब कोरबा में पदभार संभाला तब से DMF पोर्टल में ऑनलाइन इंट्री ही बंद कर दी गई है। कायदे से किसी भी कार्य का आबंटन और भुगतान ऑनलाइन ही किया जाना है, मगर कोरबा जिले की ओर से पोर्टल में कोई भी जानकारी डाली ही नहीं जा रही है। नए कलेक्टर के आने और व्यवस्थापक द्वारा दिशा-निर्देश जारी करने के बाद भी यह प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं की गई है। प्रदेश के उन 3 अन्य जिलों का भी इसी तरह का हाल है, जिनका उल्लेख परदेशी ने अपने पत्र में किया है।

नोडल अधिकारी का काम छीन कर दूसरे को दिया

कोरबा जिले में कुछ वर्ष पहले डिप्टी कलेक्टर ममता यादव को डेपुटेशन पर DMF शाखा में नोडल अधिकारी के पद पर शासन द्वारा पदस्थ किया गया था। इस पद पर कुछ समय तक ममता यादव की पदस्थापना भी रही, मगर पूर्व कलेक्टर द्वारा उन्हें हटाकर भरोसा राम ठाकुर को DMF का परियोजना अधिकारी बना दिया गया। ठाकुर वही चर्चित अधिकारी हैं जिनके खिलाफ पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने शिकायत करते हुए उनके कार्यकाल की जांच की मांग की है। बता दें कि कोरबा के DMF शाखा में वर्तमान में केवल 2 कर्मचारी ही पदस्थ हैं, जिनके बूते भरोसा राम ठाकुर काम कर रहे हैं। पूर्व में यहां पदस्थ एक अन्य अधिकारी को हटाने के बाद आज तक उस पद को नहीं भरा गया। सवाल यह उठता है कि इतने कम अमले में जिले के DMF की जानकारियां पोर्टल में कैसे अपडेट हो सकेंगी।

नियम विरुद्ध कार्यों को दी जा रही स्वीकृति

प्रदेश के समस्त जिला कलेक्टर सह अध्यक्ष जिला खनिज संस्थान न्यास को जारी पत्र में इस बात का उल्लेख भी किया गया है कि उनके द्वारा छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम 2015 के नियम -22 में निहित प्रावधान अनुसार न्यास के पास उपलब्ध निधि से नियम विरुद्ध अतिरिक्त अन्य प्रकार के कार्यों की स्वीकृतियां दी जा रही है, जो कि न्यास के उद्देश्यों के विपरीत है, जबकि कम से कम 60 प्रतिशत राशि उच्च प्राथमिकता के क्षेत्रों एवं 40 प्रतिशत राशि अन्य प्राथमिकता के क्षेत्रों में खर्च किए जाने का प्रावधान है।

सोशल ऑडिट के निर्देशों की भी अवहेलना

जिला खनिज न्यास के तहत हो रहे कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण का प्रावधान भी सुनिश्चित किया गया है। इसके पीछे शासन की मंशा डीएमएफ के कार्यों में पारदर्शिता लाने की थी। पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में प्रथम चरण में कोरबा, दंतेवाड़ा एवं बस्तर जिले में सामाजिक अंकेक्षण कराए जाने का निर्देश दिया गया था। मगर कोरबा सहित इन जिलों ने निर्देशों को नजरअंदाज कर दिया है। व्यवस्थापक छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास ने एक माह के भीतर सामाजिक ऑडिट पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।

CM के निर्देशों का पालन होगा या नहीं..?

DMF की बात करें तो कमोबेश यही स्थिति सभी जिलों की है। पहले DMF के पैसों को अनाप-शनाप निर्माण कार्यों में खर्च किया गया, कांग्रेस की सरकार के आने के बाद ऐसा करने से मना किया गया तो बिना काम के गुणवत्ताहीन सामग्रियों की सप्लाई मनमाने तरीके से की गई। DMF के काम में 60 और 40% के खर्च का भी अनेक जिलों में पालन नहीं किया गया। इस बार मुख्यमंत्री ने कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में विशेष रूप से इस बात का उल्लेख करते हुए नियम का अक्षरशः पालन DMF की रकम का खर्च करने का निर्देश दिया है। देखना है कि चंद जिलों के मुखिया और DMF शासी परिषद के अध्यक्ष अपनी कार्यशैली में सुधार लाते हैं या फिर उनका DMF का दोहन करने का रवैया बरक़रार रहता है।

0 छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास के व्यवस्थापक और खनिज विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी द्वारा जारी पत्र :

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