बालको प्लांट की राख

कोरबा। ऊर्जा नगरी या फिर काले हीरे की नगरी कहे जाने पर अब कोरबा के नागरिकों को गर्व का अहसास नहीं होता, क्योंकि यहां से निकलने वाला कोयला और बिजली पैदा करने वाले कारखाने यहां के लोगों के लिए त्रासदी बनकर रह गए हैं। यहां के वायुमंडल को कारखानों का धुआं प्रदूषित कर रहा है तो दूसरी ओर कारखानों से निकलने वाली राख पूरे इलाके में बिखेर दिए जाने से यहां के रहवासी काफी परेशान हो चले हैं।

औद्योगिक गतिविधियों के कारण भले ही कोरबा जिले का नाम रौशन हो रहा है, लेकिन यहां से निकलने वाली राख को यहां-वहां डंप कर देने से लोगों की परेशानी बढ़ रही है। इससे पहले भी इस मामले को लेकर लोगों ने अपनी नाराजगी जताई है। इसके बावजूद किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने से इस तरह गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं।

बालको से मुख्य सड़क तक ऐसा ही नजारा

वर्तमान में बाल्को नगर से आगे जाने वाले रिंग रोड के कई इलाकों में एक जैसे नजारे बने हुए हैं। यहां मुख्य मार्ग के दोनों तरफ बड़े पैमाने पर राख को डंप कर दिया गया है। लोगों का कहना है कि बालको के बिजली कारखाने से राख लेकर निकलने वाले ट्रक चालक रात के अंधेरे में सड़क के किनारे डंप करके चंपत हो जाते हैं। कल रत भी ऐसा ही हुआ और सुबह जब लोगों ने देखा तो उन्होंने बड़े हिस्से को राख से ढंका हुआ पाया।

बाल्को नगर के आगे रिसदी, बरबसपुर सहित कई इलाके के लोग इस प्रकार की समस्या से ग्रसित हैं। इलाके के पार्षद अजय गोंड़ और अन्य नागरिकों ने बताया कि लंबे समय से इस समस्या का सामना आसपास की जनता कर रही है। प्रशासन और पर्यावरण विभाग को लगातार इसकी जानकारी देने के बावजूद इस पर नियंत्रण नहीं हो सका है।

खतरनाक होती है कारखाने की राख

खास तौर पर बिजली घरों से निकलने वाली राख जन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से काफी नुकसानदायक समझी जाती है। इसके दुष्प्रभाव को लेकर लंबे समय से चर्चा होती रही है। लोगों ने कई मौकों पर शिकायत की है कि राख के संपर्क में आने से वह त्वचा संबंधी रोगों से जूझ रहे हैं। इसके अलावा लोगों को स्वांस संबंधी रोग भी हो रहे हैं।

साल भर से नहीं हुई कोई कार्रवाई

कोयले की राख से व्याप्त कोरबा की इस समस्या के बारे में पर्यावरण संरक्षण अधिकारी अंकुर साहू से बात हुई, जो हाल ही में तबादले पर रायगढ़ चले गए हैं। उन्होंने बताया कि साल भर के कार्यकाल में कोरबा में सड़कों और आबादी वाले इलाकों में राख फेंकने वाले किसी भी वाहन को पकड़ा नहीं जा सका है, वहीं आम लोगों ने भी ऐसे किसी वाहन के बारे में जानकारी दी। यही वजह है कि साल भर के भीतर ऐसे किसी भी ट्रांसपोर्टर या कारखाने के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकी। हां, उनका प्रयास ये जरूर रहा है कि सड़क पर अगर राख फेंकी गई है तो वाहन मालिकों के सहयोग से उन्होंने राख को वहां से हटवा दिया है। अंकुर साहू ने लाचारी दिखते हुए कहा कि कार्यालय के चंद स्टाफ के सहारे राख फेंकने वाले वाहनों को पकड़ना संभव नहीं है। जब तक पुलिस या आम लोग मदद नहीं करेंगे, ऐसे लोगों पर कार्रवाई संभव नहीं है।

दोषी कारखाना प्रबंधन या ट्रांसपोर्टर..?

कारखाने से कोयले की राख केवल एक सड़क पर ही नहीं बल्कि शहर की अनेक बस्तियों में भी देखने को मिल जाती है। रहा सवाल बालको-बरबसपुर मार्ग का तो, यहां फेंके जाने वाली राख बालको प्लांट का होने की शिकायत आम लोग करते हैं। दरअसल बालको प्रबंधन ने प्लांट की राख को SECL मानिकपुर के बंद पड़े खदान पास फेंकने की अनुमति ले रखी है। यहां तक राख को पहुंचाने का ठेका बालको ने किसी ट्रांसपोर्टर को दे रखा है। लोगों की शिकायत है कि इसी ट्रांसपोर्टर की गाड़ियां राख को सही जगह पर पहुंचाने की बजाय कहीं भी फेंककर भाग जाती हैं। अब आप लाख शिकायत करते रहें, कुछ भी कार्रवाई नहीं होने वाली।

ऐसे मामले में जिम्मेदार बालको प्रबंधन है या ट्रांसपोर्टर, यह प्रशासन को तय करना है, मगर कार्रवाई किसी पर भी नहीं हो रही है। वजह पूछने पर अधिकारी बेजुबान हो जाते हैं।

जांजगीर जिले में हुई थी कठोर कार्रवाई

प्रदेश में जहां भी बिजली के कारखाने संचालित हैं, वहां इस तरह की समस्या आम हो चली है। पड़ोस के जांजगीर जिले में भी यत्र-तत्र राख फेंके जाने की समस्या सामने आने से पूर्व कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने जांच कर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। जांच के दौरान जिन कारखानों की राख को फेंकना पाया गया, उनके प्रबंधन के ऊपर लाखों रुपयों का जुर्माना लगाया गया, साथ ही राख को हटवाने की जिम्मेदारी भी उन्हें ही सौंपी गई।

जांजगीर जिले की तरह एक भी कार्रवाई कोरबा जिले में आज तक नहीं की गई है, जबकि वहां इस तरह की समस्या काफी ज्यादा है। यहां के नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाने के लिए कोरबा जिला प्रशासन को कठोर कदम उठाने की जरुरत है, अन्यथा लोगों की स्वास्थ्यगत समस्याएं बढ़ती ही चली जायेंगीं।

देखें राख से पटे हुए सड़क का नजारा :

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