गांधीनगर। चुनाव आयोग द्वारा गुजरात विधानसभा चुनाव की तिथि घोषित किए जाने के बाद वहां सियासत को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों में घमाशान शुरू हो गई है। गुजरात को पीएम मोदी का गढ़ माना जाता है इसलिए गुजरात विधानसभा का चुनाव काफी प्रतिष्ठापूर्ण माना जा रहा है। राज्य में 1 दिसंबर को पहले चरण के लिए और 5 दिसंबर को दूसरे चरण के लिए वोटिंग होगी। इसी के साथ गुजरात में सियासी पारा बढ़ना शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवार लगभग सभी सीटों पर उतार चुकी है। कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों का ऐलान होना अभी बाकी है।


भाजपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती
पिछले 27 सालों से गुजरात में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। 1995 में केशुभाई पटेल के बाद साल 2000 में नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। तब से लेकर अब तक भाजपा ने गुजरात में कई मुख्यमंत्री दिए लेकिन सबसे बड़ा कार्यकाल मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रहा। उन्होंने करीब 14 साल तक गुजरात में सरकार चलाई। भाजपा के सामने कांग्रेस के साथ-साथ पहली बार आम आदमी पार्टी की भी चुनौती है।


मल्लिकार्जुन खरगे की अग्निपरीक्षा
कांग्रेस के नए-नवेले अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सामने भाजपा का गढ़ कहे जाना वाला गुजरात सबसे बड़ी चुनौती है। हाल ही में कांग्रेस के मुखिया चुने गए मल्लिकार्जुन खरगे के सामने गुजरात में कांग्रेस को एकजुट करना और फिर पूरे ताकत से चुनाव लड़ना है। खरगे को राजनीत में 40 साल से ज्यादा का अनुभव है। लेकिन गुजरात में अपने ही नेता बगावत पर उतारू हैं। पिछले कुछ सालों में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, ठाकोर समाज से आने वाले अल्पेश ठाकुर भाजपा में चले गए हैं। तो वहीं, कुछ नेता आम आदमी पार्टी का दामन थाम चुके हैं। ऐसे में गुजरात चुनाव खरगे के लिए सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा है।


AAP के पास मौका
दिल्ली और पंजाब में मुफ्त शिक्षा, बिजली और पानी के दम पर सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी के पास गुजरात में इतिहास बनाने का मौका है। AAP  के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पिछले दो महीनों से लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं। लोगों को दिल्ली और पंजाब की तरह मुफ्त शिक्षा और मुफ्त बिजली पानी का वादा कर जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं। AAP एंड केजरीवाल पार्टी पूरे जोर-शोर से प्रचार प्रसार कर रही है। वह केंद्र और गुजरात सरकार को जमकर कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। केजरीवाल गुजरात मॉडल vs दिल्ली मॉडल का अंतर बता रहे हैं। लेकिन उनके सामने मोदी-शाह की बड़ी चुनौती है। दोनों एक ही राज्य से आते हैं।


मोदी-शाह की साख का सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों देश के सबसे बड़े संवैधानिक पदों पर हैं। दोनों गुजरात से आते हैं। ऐसे में गुजरात चुनाव में मोदी और शाह साख दांव पर लगी है क्योंकि इस जोड़ी ने पिछले 20 सालों में गुजरात में कोई चुनाव नहीं हारा है। इस बार भी गुजरात में मोदी और शाह ने पूरी ताकत झौंक दी है। हाल ही केंद्र सरकार ने गुजरात के अलग-अलग क्षेत्रों में कई हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है, जिन्हें चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।