जनजातीय एटलस और विविध किताबों को पढ़ने-देखने उमड़ रहा युवाओं का हुजूम

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 22वें राज्योत्सव का आयोजन 1 नवंबर से रायपुर स्थित साइंस कॉलेज मैदान पर किया जा रहा है। सरकार ने इसे तीन अतिरिक्त दिवस बढ़ाते हुए 6 नवंबर तक कर दिया है। अन्तरराष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के समापन के बाद भी विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी एवं व्यावसायिक स्टॉलों में दर्शकों की भीड़ बरकरार है।

विभागीय प्रदर्शनियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारियां दी जा रही है। इसी कड़ी में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा जनजातियों से संबंधित विभिन्न पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसे देखने के लिए बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक स्टॉलों में लगातार पहुंच रहे हैं। आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में जनजातियों से संबंधित ज्ञानवर्धक एवं उपयोगी उपलब्ध है, जिसका अवलोकन-अध्ययन युवा कर रहे है।

इन किताबों में जनजाति एटलस के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की आदिम कला, गोदना कला, आदिवासी व्यंजन, आदिम विद्रोह, आदिवासी संस्कृति तीज त्यौहार, विशेष पिछड़ी जनजाति से संबंधित किताबें हैं, जो यहां आने वाले पाठकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इन किताबों को पढ़ने वालों में स्कूली विद्यार्थियों एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।

क्विज में भाग लेने उत्साहित दिखे स्कूली विद्यार्थी और युवा

आदिम जाति प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आदिम जाति से संबंधित क्विज का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें विद्यार्थी एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के परीक्षार्थी द्वारा उत्साह पूर्वक भाग ले रहे हैं। इस क्विज में आदिवासी से संबंधित विभिन्न प्रश्नों का समावेशन किया गया है, जिससे उन्हें नई-नई जानकारियां अधिक रोचक ढंग से सीखने को मिल रही है।

आदिम जाति प्रशिक्षण संस्थान के लाइब्रेरियन मीना कुशवाहा ने बताया कि स्टॉल में प्रदर्शित इन पुस्तकों को संस्थान की वेबसाइट www.cgtrti.gov.in पर जाकर अध्ययन किया जा सकता हैं। इन सभी पुस्तकों का मुद्रण प्रक्रियाधीन है। मुद्रण पश्चात यह सामाग्री सभी के लिए हार्ड कॉपी में उपलब्ध हो सकेगी। अभी वर्तमान में इनमें से अधिकांश किताबें वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है।

छ.ग. राज्य में निवासरत अबुझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, कमार एवं पहाड़ी कोरवा विशेष पिछड़ी जनजातियों की सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवनशैली पर आधारित एक कॉफी टेबल बुक तैयार की गयी है, इसमें विभागीय उपलब्धियों को भी समाहित किया गया है। इसके अलावा आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा राज्य की माझी, परधान, गडबा (गदबा) एवं पाव जनजाति की जीवनशैली पर आधारित फोटो हैण्डबुक्स एवं बैगा, गोड, अगरिया एवं कंवर एवं हल्बा जनजाति से संबंधित फोटो हैण्डबुक्स का अंग्रेजी रुपांतरण भी कराया गया है।

आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा तैयार की गई राज्य की गदबा, मुण्डा, बैगा, कमार एवं भुजिया जनजातियों के जीवन आधारित मानव शास्त्री अध्ययन पुस्तिका के साथ ही छत्तीसगढ़ की जनजातीय एटलस का विमोचन भी विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। जनजातीय एटलस जारी करने वाला छत्तीसगढ़, ओड़िसा एवं झारखण्ड के बाद देश का तीसरा राज्य बन गया है, जो कि बहुत बड़ी उपलब्धि है।

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