रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी के माना एसओएस बाल आश्रम में बच्ची से रेप का मामला सामने आया था। अब इस केस में एक नया मोड़ आया है। बच्ची से गैंगरेप कि जाने की आशंका जताई जा रही है। दूसरी तरफ अफसरों ने न सिर्फ इस पूरे कांड की फाइल को दबा दिया, बल्कि महिला बाल विकास विभाग की मंत्री अनिला भेंडिया को भी इस केस के बारे में खबर नहीं लगने दी। अब मीडिया में मामला फूटा तो मंत्री को खबर लगी।

इस मामले में मंत्री अनिला भेंडिया ने कहा है कि उन्हें भी ये केस के बारे में पता नहीं था। खबरों के जरिए ही जानकारी मिली है। इसमें लड़की ने जिसे आरोपी बताया पुलिस ने उसे पकड़ा है। इस केस की फिर से पूरी तरह से जांच कराएंगे, जो भी दोषी होगा उसपर कार्रवाई करेंगे। मामले में अफसरों की भूमिका पर भी मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि जांच में अफसरों की गड़बड़ी के तथ्य मिलेंगे तो कार्रवाई करेंगे। बड़ी गलती हुई है, बच्ची के साथ जो हुआ गंभीर मामला है, आगे ऐसा न हो सतर्क रहना होगा। फिर से पूछताछ होगी। बाल आश्रम चलाने वाली संस्था भी बर्खास्त करने लायक है, तथ्य सामने आने के बाद संस्था के खिलाफ भी कार्रवाई करेंगे।

यह था पूरा मामला
हाल ही में माना के बाल आश्रम में बच्ची से रेप का मामला उजागर हुआ। जब बच्ची गर्भवती हुई तब बीते साल नवंबर में FIR दर्ज कराइ गई। जून के महीने में बच्ची के साथ रेप हुआ था। रेप का आरोप बाल आश्रम में ही काम करने वाले अंजनी शुक्ला नाम के कर्मचारी पर लगा। फिलहाल अंजनी जेल में है। ये केस अब तक बाल आश्रम से जुड़े अफसरों ने दबाकर रखा था।

एक नया मोड़, गैंगरेप की आशंका
जिस आरोपी को पुलिस ने पकड़ा, उसके DNA से बच्ची ने जिस बच्चे को जन्म दिया उन दोनों के DNA जांचा गया। जांच रिपोर्ट में दोनों के DNA में अंतर आया। जिससे पता चला की बच्ची ने जिस बच्चे को जन्म दिया वो आरोपी का बच्चा नहीं था। किसी और ने भी बच्ची से शारीरिक संबंध बनाए। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि बच्ची से कई महीनों तक रेप होता रहा। और किसने बच्ची का शोषण किया न बाल आश्रम की तरफ से कुछ बताया गया है न ही पुलिस को पता है।

बच्ची की देखरेख करने वाले को भेजा दिल्ली
जिस बच्ची का रेप हुआ उसकी देखभाल करने वाली हाउस मदर (आया) को केस मीडिया में उजागर होने के बाद फौरन दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया। मामले में उस महिला का बयान तक नहीं लिया गया। ऐसी संभावना जताई जा रही की आया को इस मामले में कुछ न कुछ जानकारी हो सकती है।

अफसरों ने रेप केस मामले को दबाया
बच्ची के प्रेगनेंट होने और उसके रेप की खबर अफसरों ने लीक नहीं होने दी। जानकारी के अनुसार अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में इस केस को दबाया गया। अफसरों ने कुछ बड़े अफसरों को भी केस दबाने के लिए पैसे दिए। आश्रम के किसी अफसर या जिम्मेदारों पर इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सभी अफसर अपने पदों पर बने रहे, किसी के खिलाफ काेई जांच तक का आदेश नहीं हुआ। इस मामले में आश्रम की डायरेक्टर निपुना सेन से संपर्क करने का प्रयास किया गया मगर उन्होंने जवाब नहीं दिया।