Supreme Court On Morbi Bridge Accident: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे मामले में सुनवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को ज्यादा मुआवजा देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायण और एसजी तुषार मेहता की दलीलें सुनीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मामले में किसी भी स्टेज पर सुप्रीम कोर्ट में आवेदन कर सकते हैं। मोरबी पुल हादसे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लगातार निगरानी के जरिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाएं ना हों। हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई को जारी रखे।

सुप्रीम में अब मोरबी पुल हादसे में कहा गया है की स्वतंत्र जांच किया जाये। जांच और कार्यवाही में तेजी व उचित मुआवजे के पहलुओं पर गौर करे। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वो नियमित अंतराल पर सुनवाई करता रहे ताकि इन जैसे तमाम पहलुओं को सुनवाई में समेटा जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर उन्हें फिर भी आगे चलकर सुप्रीम कोर्ट के दखल की जरूरत लगती है तो फिर से वे सर्वोच्च न्यायालय आ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट उन मुद्दों पर ध्यान दे, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए गए हैं और उन पर निर्देश जारी करे।

वकील ने कहा कि राज्य में चुनाव हैं और ऐसे में यह जरूरी है कि असली दोषियों को पकड़ा जाए। अजंता कंपनी और नगरपालिका सीधे तौर जिम्मेदार है। क्योंकि कोई रेनोवेशन नहीं कराया गया और कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू किया जाता रहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। किसी भी मसले पर बेवजह कोई संदेह नहीं किया जाना चाहिए। वकील ने कहा कि नगरपालिका ने लोगों की हत्या की है। सर्वोच्च अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

मुआवजा नहीं मिलने पर जताई नाराजगी

शंकरनारायण ने आगे कहा, “दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार को प्रधानमंत्री राहत कोष से 2 लाख और मुख्यमंत्री की तरफ से 4 लाख रुपये का मुआवजा मिला है। खेल में उपलब्धि हासिल करने वाले लोगों को इससे बहुत ज़्यादा बड़ी रकम दी जाती है। क्या सरकार की लापरवाही से जान गंवाने वाले लोगों की ज़िंदगी का यही महत्व है?” वरिष्ठ वकील ने यह भी कहा कि गुजरात में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। इसलिए भी ज़रूरी है कि निष्पक्ष जांच का आदेश दिया जाए।