श्रीनगर। जम्मू -कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए सुरक्षा बालों द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत कश्मीर के तीन जिले आतंकवाद से मुक्त हुए और इस साल अब तक हमने 169 आतंकी मार गिराए हैं। यह दावा एडीजीपी कश्मीर जोन विजय कुमार का है। साफ कहते हैं कि इनमें 127 स्थानीय और 42 विदेशी आतंकी थे। अभी कश्मीर जोन में कुल 81, इनमें 52 विदेशी, 29 स्थानीय आतंकी हैं। विजय कुमार कहते हैं कि यदि सभी 81आतंकी मार दिए जाएं तब भी घाटी से आतंकवाद को समाप्त कर देने की गारंटी नहीं दी जा सकती।

एडीजीपी का कहना है कि आतंकवाद नए आयाम दे रहा है। इसका सेंटर शुरू से पाकिस्तान रहा है। आका वहीं बैठे हैं। आतंक की विचारधारा भी इसकी पोषक है, इसलिए खात्मे के बारे में कहना मुश्किल है। विजय कुमार कहते हैं कि हिजबुल मुजाहिद्दीन को छोड़कर शेष आतंकी संगठन का अब कश्मीर में कोई सरगना नहीं है। इसके पूरे कश्मीर में सरगना फारुक नल्ली समेत चार आतंकी हैं। स्थानीय आतंकियों की संख्या बहुत घटी है। बताते हैं दो साल पहले तक कश्मीर में 80 के करीब आतंकी कमांडर थे। अब बस तीन बचे हैं और इनमें एक की हालत न होने जैसी है।

नए आयाम दे रहा है कश्मीर का आतंकवाद
एडीजीपी बताते हैं अब पहले का टेरर माड्यूल नये आयाम में आ रहा है। छोटे-छोटे माड्यूल में यह पनप रहा है। कश्मीर में नशाखोरी आतंकवाद का नया हथकंडा बन रही है। सोशल मीडिया, इंटरनेट, कोडिंग के नए तरीके, युवाओं के ब्रेनवाश की शातिर रणनीति सामने आ रही है। कुछ ऐसे भी मामले सामने आए जिनमें लड़कियों, युवतियों ने आतंकियों की मदद कर उन्हें हथियार उपलब्ध कराए। एकाध मामले ही ऐसे भी हैं जहां पूरा परिवार टर्की की बनी टीपी-90 कार्निक पिस्टल की नेटवर्किंग में पकड़ा गया। बताते हैं नशे की खेप और युवाओं पर घेरा, महिलाओं का आतंकवाद में इस्तेमाल बड़ी चुनौती बन रही है। हालांकि हम इसे कामयाब नहीं होने देंगे। विजय कुमार के मुताबिक आतंकियों ने घुसपैठ के लिए नियंत्रण रेखा, अंतरराष्ट्रीय सीमा, नेपाल से सड़क के रास्ते जैसे पुराने और पारंपरिक मोड को अपना रखा है। इसमें पाकिस्तान से ड्रोन के सहारे ड्रग्स, हथियार आदि की आपूर्ति बड़ी चुनौती बनी है।

 हर जिले के आतंकियों को गिन लीजिए
कुपवाड़ा में कोई स्थानीय आतंकी नहीं है, 07 विदेशी आतंकियों के होने की सूचना है। हंदवारा में बस 04 विदेशी आतंकी छिपे हैं। बारामूला में 01 स्थानीय, 06 विदेशी, सोपोर में 02 स्थानीय, 03 विदेशी, बांदीपोरा में 07विदेशी, श्रीनगर में 01स्थानीय 03विदेशी, पुलवामा में 03 स्थानीय, 05 विदेशी, अवंतीपोरा में 03-03 स्थानीय और विदेशी के होने की सूचना है। बड़गाम में 01 स्थानीय,02 विदेशी, सोपियां में 07स्थानीय, 05 विदेशी आतंकियों के होने की खबर है। कुलगाम में 10स्थानीय, 05विदेशी आतंकी छिपे हैं। अनंतनाग में यह संख्या 01और 02की है।  इस तरह से दक्षिण कश्मीर में 44, उत्तरी में 28 और सेंट्रल कश्मीर में 07 आतंकी छिपे हैं। पहले यह संख्या कोई सैकड़े में होती थी। कश्मीर के तीन जिलों में अभी कोई स्थानीय आतंकी होने की सूचना नहीं है।  
अब तो मां-बाप खुद लड़ रहे आतंकी कमांडरों से
एडीजीपी कहते हैं कोशिशें रंग लाई हैं। बड़े पैमाने पर स्थानीय आतंकियों की ट्रैकिंग, उनके खिलाफ कार्रवाई, दबाव और मुठभेड़ ने बहुत कुछ बदला है। अब विदेशी आतंकियों, संगठनों को बहुत कम स्थानीय समर्थन मिल रहा है। आतंकियों को स्थानीय ग्लैमर, रूतबा भी नहीं मिल रहा और तमाम मां-बाप अपने बच्चों को आतंकवाद की चपेट में जाने से बचाने के लिए सहयोग कर रहे हैं। आतंकी कमांडरों से लड़ने, बिना डरे उनका विरोध करने के लिए आगे आ रहे हैं। इससे तमाम हथियार थाम चुके युवा लौट रहे हैं। अब जो आतंकवाद में फंस रहे हैं उनमें 20 प्रतिशत ऐसे युवा हैं, जिनके परिवार का कोई पहले आतंकवाद में था या मारा गया।

आप ही देख लें कितनी घटी पत्थरबाजी  
2016 में 2897 पत्थरबाजी वाली घटना हुई थीं। 2022 में अब तक महज 26 घटनाएं हुईं और इसका कारण 2016 से बिल्कुल अलग है। इस साल कोई हड़ताल नहीं, कोई इंटरनेट बाधा नहीं, कोई सड़कों गलियों में हिंसक घटना नहीं और कोई पत्थरबाजी नहीं हुई। आतंकियों को दफनाने, मुठभेड़ में मारने पर प्रदर्शन नहीं हुए। मुठभेड़ के समय आतंकियों समर्थन में सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी भी नहीं करते। अब आतंकी परिवार के लोग मारे जाने के बाद उस आतंकी की झलक देखने के लिए गिड़गिड़ाते हैं। हम नीतिगत निर्णय के तहत नहीं दिखाते। हुर्रियत का टेरर भी अब खत्म है।

फिर भी हैं बड़ी चुनौतियां
सुरक्षा बल के शीर्ष कमांडर कहते हैं कि आतंकवाद पाकिस्तान द्वारा छेड़ा गया छद्म युद्ध है। यह रूप, रंग, तीव्रता, तरीके बदलता रहेगा। हमें पता इसे कुछ विचारधाराएं सहयोग देती हैं। इसलिए हम इसके समाप्त होने की गारंटी नहीं दे सकते। शीर्ष कमांडर का कहना है कि हम देश और कश्मीर को नुकसान पहुंचाने वाली इन ताकतों के खिलाफ हमेशा सतर्क, चौकन्ना, बेहतर तैयारी, युवाओं, लोगों, परिवार की काउंसलिंग समेत तमाम उपाय करते रहेंगे। पूरा मामला बस इतना है कि सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी।