RTE

राजनांदगांव। निजी स्कूलों को शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) का सही ढंग से पालन कराने की बजाय लापरवाही बरतने वाले नोडल अधिकारी आदित्य खरे के खिलाफ लंबी शिकायतों के बाद अब जाकर जांच शुरू की गई है। जांच निष्पक्ष हो इसलिए उनसे RTE का प्रभार छीन लिया गया है। बताया जाता है कि कोरोना काल में राजनांदगांव जिले में RTE के तहत बड़ी संख्या में बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा, मगर उनके दोबारा प्रवेश के लिए नोडल अधिकारी ने कोई प्रयास नहीं किया।

पेरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन ने की थी शिकायत

RTE के कानून को लागू कराने की दिशा में प्रयासरत राजनांदगांव के पेरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन ने इस मामले में शिकायत की थी। इस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल ने बताया कि कोरोना काल में 45 प्राइवेट स्कूल बंद हो गए, इसके चलते RTE के तहत प्रवेश लेने वाले लगभग एक हजार बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा। इन बच्चों की कोई जानकारी आरटीई के नोडल अधिकारी के पास नहीं है। साथ ही यह शिकायत भी की गई कि सुविधाहीन प्राईवेट स्कूलों को मान्यता दी जा रही है और अवैध रूप से संचालित प्राइवेट स्कूलों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, साथ ही इन प्राईवेट स्कूलों को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाया जा रहा है।

विधानसभा में दी गई गलत जानकारी

राजनांदगांव में शिक्षा विभाग के RTE नोडल अधिकारी आदित्य खरे पर आरोप है कि उन्होंने विधानसभा में गलत जानकारी दी। विधायक रेणु जोगी के सवाल के जवाब में बताया गया कि कोरोना काल में राजनांदगांव में जितने भी प्राइवेट स्कूल बंद हुए, उनमें अध्ययनरत सभी बच्चों को दूसरे स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा चुका है। यह जानकारी तब झूठी साबित हुई जब स्कूल छोड़ चुके बच्चे और उनके परिजन सामने आये।

गहने तक बेचने पड़े पालकों को

पेरेंट्स-टीचर्स एसोसिएशन के मुताबिक अगर कोई स्कूल बंद हो रहा हो तो वहां RTE के तहत प्रवेशित बच्चों को आसपास के निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाना था, मगर इस और ध्यान नहीं दिया। नतीजतन ऐसे कुछ पालकों को अपने बच्चों को दूसरे निजी स्कूलों में भर्ती के लिए अपने गहने तक बेचने पड़े, वहीं कई लोगों ने कर्ज भी लिया।

इस मामले में पीड़ित पालकों द्वारा लगातार लिखित शिकायत कर आदित्य खरे, आरटीई नोडल अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की जा रही थी, उधर राज्य सरकार ने भी डीईओ को आरटीई फीस स्टैम्प के संबंध में प्रतिवेदन भेजने का आदेश दिया गया है। इस तरह लम्बे समय से की जा रही शिकायत के बाद इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश कलेक्टर ने दिए, और इससे पूर्व RTE के नोडल अधिकारी आदित्य खरे को भी हटाने का भी निर्देश दिया। DEO राजेश सिंह ने TRP न्यूज़ को बताया कि आदित्य खरे को हटाते हुए पी सी मरकले को RTI शाखा का प्रभार सौंपा गया है।

20 वर्षों से जमे हैं DEO ऑफिस में

बताया जा रहा है कि आदित्य खरे का मूल पद प्राचार्य का है और उन्हें किसी स्कूल में पदस्थ करना चाहिए, मगर अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए वे DEO कार्यालय में पिछले 20 वर्षों से जमे हुए हैं। बहरहाल खरे के खिलाफ जांच लिए अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में DEO और 2 वरिष्ठ प्राचार्यों को टीम में शामिल किया गया है।

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