नई दिल्ली। डीएमके पार्टी ने ईडब्लूएस कोटा को जारी रखने के सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच के फ़ैसले के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर की है।

तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील वी विलसन ने बताया कि डीएमके पार्टी ने ईडब्लूएस कोटा के फ़ैसले के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर की है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने नवंबर में ईडब्लूएस कोटे के तहत आरक्षण को बरकरार रखा है।

चीफ़ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने बहुमत से ईडब्लूएस कोटे के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि 103वां संविधान संशोधन वैध है।

द्रमुक महासचिव दुरईमुरुगन ने उठाया था सवाल

द्रमुक महासचिव और तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच के 3-2 बहुमत के फैसले की ओर इशारा किया था और कहा था कि यह संविधान में परिकल्पना में समानता की अवधारण का प्रभावित करेगा। दुरईमुरुगन ने एक विज्ञप्ति में कहा था कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की 82 फीसदी आबादी के सामाजिक न्याय की रक्षा, संविधान के बुनियादी ढांचे की रक्षा और मंडल आयोग द्वारा दिए गए आरक्षण को स्थापित करने के लिए द्रमुक की ओर से एक पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी।

जानें, क्या है EWS आरक्षण

EWS का मतलब है आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण। यह आरक्षण सिर्फ जनरल कैटेगरी यानी सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है। इस आरक्षण से SC, ST, OBC को बाहर किया गया है। दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिया था। इसके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया किया था। वैसे कानूनन, आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

अभी देशभर में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, वो 50 फीसदी सीमा के भीतर ही है। मामला यहीं फंस गया था कई लोगों को आपत्ति थी कि सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण मिलने से यह करीब 60 फीसदी के बराबर हो जाएगा जो कि संविधान का घोर उल्लंघन है। केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इसके अलावा फरवरी 2020 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पांच छात्रों ने भी आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर की थी।

किसे कितना आरक्षण, केंद्र सरकार ने दी सफाई

50 फीसदी सीमा में ओबीसी को 27 फीसदी, एससी को 15 फीसदी और एसटी को 7.5 फीसदी आरक्षण मिला है। लेकिन सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण मिलने से यह सीमा 59.5 फीसदी हो जाती है। लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि आरक्षण के 50% बैरियर को हमने नहीं तोड़ा है क्योंकि 1992 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा था कि 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए ताकि बाकी 50% जगह सामान्य वर्ग के लोगों के लिए बची रहे। यह आरक्षण 50% में आने वाले सामान्य वर्ग के लोगों के लिए ही है। यह बाकी के 50% वाले ब्लॉक को डिस्टर्ब नहीं करता है।

इन्हें मिलेगा EWS आरक्षण का फायदा

ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए वह लोग आवेदन कर सकते हैं, जिनकी वार्षिक आय 8 लाख या उससे कम है। इसमें स्रोतों में सिर्फ सैलरी ही नहीं, कृषि, व्यवसाय और अन्य पेशे से मिलने वाली आय भी शामिल हैं। वहीं अगर कोई व्यक्ति गांव में रहता है। ऐसे में उसके पास पांच एकड़ से कम आवासीय भूमि होनी चाहिए, साथ ही 200 वर्ग मीटर से अधिक आवासीय जमीन नहीं होनी चाहिए।
वहीं शहरों में रहने वाले लोगों के पास भी 200 वर्ग मीटर से अधिक आवासीय जमीन नहीं होनी चाहिए।

EWS के पात्र के पास आरक्षण का दावा करने के लिए ‘आय और संपत्ति प्रमाण पत्र’ होना जरूरी है। यह प्रमाण पत्र तहसीलदार या उससे ऊपर पद के राजपत्रित अधिकारी ही जारी करते हैं। इसकी वैधता एक साल तक ही रहती है।

अगर आप ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने जा रहे हैं। ऐसे में आपके पास पहचान पत्र, राशन कार्ड, स्व घोषित प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आयु प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड और दूसरे दस्तावेजों की जरूरत होगी।

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