COAL DEPO

बिलासपुर। जिले में दर्जनों कोल डिपो संचालित हैं, जिनके आड़ में कोयले का अवैध कारोबार संचालित होता है। इसी के मद्देनजर जिले में संचालित कोयला डिपो की जांच के बाद नियमों का उल्लंघन करने के चलते 9 कोल डिपो के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं, वहीं 24 डिपो संचालकों से 6.43 करोड़ रुपये वसूल किए गए हैं। जांच के बाद 66 लाइसेंसधारकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था, जिनका परीक्षण अभी जारी है।

जांच के दौरान मिली अनेक खामियां

जांच के दौरान 11 कोल वाशरियों को मासिक पत्रक में विस्तृत जानकारी या समय पर नहीं देने के कारण 5 करोड़ 90 लाख अर्थदण्ड जमा कराया गया है। 15 अनुज्ञप्तिधारको से अनियमित अनुज्ञप्ति संचालन के कारण 53 लाख को मिलाते हुए अब तक कुल 6 करोड़ 43 लाख रुपय जमा कराया जा चुका है। शेष अनुज्ञप्तिधारियों द्वारा प्रस्तुत जवाबों का परीक्षण किया जा रहा है तथा अर्थदण्ड वसूली जारी है। जिन अनुज्ञप्तिधारियों ने राशि जमा नहीं कराई है उन अनुज्ञप्तिधारियों को ऑनलाइन पोर्टल से खनिज परिवहन पर रोक लगाने की भी प्रक्रिया चल रही है।

इन कोल डिपो के लाइसेंस किये गए निरस्त

लंबे समय तक डिपो का संचालन बंद रखने, तौल कांटा नहीं लगाने, ऑनलाईन अभिवहन पास जारी करने अनुज्ञप्तिस्थल पर कम्प्यूटर सिस्टम की व्यवस्था नहीं करने, मासिक पत्रक जमा नहीं करने इत्यादि शर्तों का गंभीर उल्लंघन करने का दोषी पाये जाने से वाची सेल्स-अमसेना, छत्तीसगढ़ पावर एण्ड कोल बेनिफिकेशन लि. लोखंडी, आकाश ट्रेडर्स-धौराभाठा, जगदीश लक्ष्मी साहू-चंगोरी, लक्ष्मी ऐसोसियेट-हरदी, राहुल इंटरप्राइजेज-हरदी, श्री खाटू कोल सेल्स-अमसेना और शुभम कोल ट्रेडर्स-भोजपुरी का डिपो लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।

गौरतलब है कि कोयला डिपो की अनुमति छत्तीसगढ़ खनिज खनन, परिवहन तथा भंडारण नियम 2009 के तहत दी जाती है। एसईसीएल की खदानों से कोयला विभिन्न DO के माध्यम से संबंधित कंपनियों को जारी किया जाता है। रॉयल्टी एवं अन्य टैक्स जमा करने के 45 दिवस के भीतर खदानों से कोयला उठाना अनिवार्य है। यदि किसी कारणवश कोई कंपनी समय पर कोयला खदान से नहीं उठा नहीं पाती तो हर्जाना जमा करना होता है।

एसईसीएल की कोयला खदानों से विभिन्न कंपनियों का कोयला अनुज्ञप्ति क्षेत्रों में लाया जाता है। इसकी रायल्टी एसईसीएल खनिज विभाग को जमा कराती है, इसलिये अनुज्ञप्तिधारी को इस सभी कंपनियों के कोयला का आवक-जावक का स्पष्ट रिकॉर्ड रखना होता है और प्रतिमाह खनिज विभाग को मासिक पत्रक के माध्यम से जानकारी देनी होती है।

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