बिलासपुर। हाई कोर्ट ने ई.राघवेंद्र राव स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अंग्रेजी माध्यम से अध्यापन कराने के उच्च शिक्षा विभाग के आदेश को निरस्त करते हुए छात्रों को हिंदी में पढ़ाने और परीक्षा लेने का आदेश दिया है।

इस कॉलेज में मौजूदा शिक्षण सत्र में 775 छात्रों ने दाखिला लिया था। 29 अगस्त को उच्च शिक्षा विभाग ने एक बैठक के बाद आदेश जारी किया कि इस कॉलेज में अगले सत्र (2023-24) से स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी में माध्यम उत्कृष्ट महाविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा और पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी कर दिया जाएगा। इसके बाद अचानक कॉलेज प्रबंधन ने आदेश दिया कि अंग्रेजी माध्यम से वर्तमान सत्र में ही पढ़ाई शुरू की जा रही है, जबकि छात्रों ने हिंदी माध्यम में पढ़ने के लिए कॉलेज में प्रवेश लिया था। प्रवेश लेने के बाद अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करने की बाध्यता से वे चिंतित हो उठे। छात्र संगठनों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने अपना फैसला नहीं बदला। इस पर छात्र मुकेश साहू व छात्रा भूमिका चंद्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 29 अगस्त के आदेश में सत्र 2023-24 से अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई का आदेश आयुक्त ने दिया। इसके विपरीत इसी सत्र से अंग्रेजी में पढ़ाई शुरू कर दी गई है। कॉलेज में हिंदी माध्यम से पढ़ने के इच्छुक छात्रों ने ही प्रवेश लिया है, अचानक अंग्रेजी में पढ़ाई कराने और परीक्षा लेने से उनका करियर बर्बाद हो जाएगा। छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में कहा गया है कि राज्य और केंद्र की जिम्मेदारी है कि वे हिंदी माध्यम को बढ़ावा दें, इसका उल्लंघन किया जा रहा है। इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 19 (1) अ की भी अवहेलना हो रही है, जिसमें उन्हें बोलने व अभिव्यक्ति के माध्यम की स्वतंत्रता है।

उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जवाब मिलने के बाद हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच ने आदेश दिया कि छात्रों को हिंदी माध्यम में ही पढ़ाया जाए और हिंदी में ही उनकी परीक्षा आयोजित की जाए।हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद साइंस कॉलेज के छात्रों ने परिसर में ख़ुशी मनाते हुए एक दूसरे को बधाई दी।

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