नई दिल्ली।  देश से भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में लगातार ऐक्शन मोड में काम कर रही केंद्र की मोदी सरकार के निर्देश पर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई की गई है। इस बार टेलिकॉम विभाग के कर्मचारियों पर गाज गिरी है। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने काम में लापरवाही बरतने वाले संयुक्त सचिव समेत दूरसंचार विभाग के 10 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त करने पर मुहर लगा दी है।

भ्रष्टाचार को एकदम बर्दाश्त न करने की नीति और काम करो या काम छोड़ो अभियान के तहत यह छंटनी की गई है। एक आधिकारिक सूत्र ने इन अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त किए जाने के फैसले की जानकारी दी। पहली बार दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के पेंशन नियम 48 के धारा 56 (जे) के तहत जबरन सेवानिवृत्ति दी गई है।


सूत्र ने कहा कि दूरसंचार मंत्री ने संदिग्ध ईमानदारी और भ्रष्टाचार को तनिक भी बर्दाश्त नहीं करने की सरकार की नीति के तहत दूरसंचार विभाग के 10 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति देने की मंजूरी दे दी है। इन 10 अधिकारियों में नौ अधिकारी निदेशक स्तर पर काम कर रहे थे जबकि एक अधिकारी संयुक्त सचिव स्तर का है। दूरसंचार मंत्री ने यह फैसला हर साल सरकार द्वारा मनाए जाने वाले ‘सुशासन दिवस’ की पूर्व संध्या से एक दिन किया।


काम करो या घर बैठो
इससे पहले सितंबर में सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के एक वरिष्ठ अधिकारी को वैष्णव की बैठक में झपकी लेते हुए पाए जाने पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। रेलवे विभाग ने भी लगभग 40 अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी है। गौरतलब है कि वैष्णव के पास रेलवे मंत्रालय का भी प्रभार है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल जुलाई में मंत्री पद संभाला था। तभी उन्होंने साफ कर दिया था कि जो अधिकारी काम नहीं कर सकते हैं, उन्हें घर बैठ जाना चाहिए।