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सक्ती। कक्षा 8 वीं में पढ़ने वाले छात्र को उसके परिजन 4 दिनों से तलाशते रहे। इस बीच क्रिसमस के बाद इलाके के सरकारी स्कूल के खुलने पर चपरासी को एक कमरे में फांसी के फंदे पर झूलते हुए एक छात्र की लाश नजर आयी। यह वही गुमशुदा छात्र था जो मामूली सी बात पर नाराज होकर घर से निकल गया था।

मजदूरी मिलने पर मोबाइल देने का किया था वादा

ग्राम सुलौनी के शासकीय माध्यमिक विद्यालय में कक्षा आठवीं में पढ़ने वाला 13 वर्ष का नाबालिग छात्र आदित्य श्रीवास सुकलीपाली का रहने वाला था, उसने स्कूल के एक कमरे में ही खुदकुशी कर ली है।

मृतक के पिता ने बताया कि 26 दिसंबर को बेटा घर पर आकर मोबाइल लेने की जिद कर रहा था। पिता का कहना है कि उसने मजदूरी का पैसा आने के बाद मोबाइल खरीद देने की बात कही थी, जिस पर वह नाराज हो गया। सोमवार की दोपहर 12 बजे वो घर से निकला था। देर शाम तक भी जब वो घर वापस नहीं लौटा, तो उसकी तलाश शुरू की गई, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। परिजनों ने सोचा कि वो मेला देखने के लिए चला गया होगा और रात तक आ जाएगा।

इस बीच स्कूल में भी क्रिसमस की छुट्टियां चल रही थीं। जब 26 दिसंबर की देर रात तक भी छात्र घर वापस नहीं आया, तो परिजनों ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने की बजाए अपने स्तर पर ही बच्चे की तलाश करते रहे। रिश्तेदारों के घर जाकर भी उसे ढूंढा गया, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल सका।

कमरे का दरवाजा अंदर से था बंद

29 दिसंबर को छुट्टियां ख़त्म होने पर जब ग्राम सुलौनी के शासकीय माध्यमिक विद्यालय का चपरासी दरवाजा खोलकर अंदर गया, तो कमरे में पंखे के चलने की आवाज सुनी। इसके बाद दरवाजा खोलने की कोशिश की गई, लेकिन वो अंदर से बंद मिला। पीछे की खिड़की से जब क्लास रूम में झांककर देखा गया, तो बच्चे का शव फांसी के फंदे से लटक रहा था।

सूचना मिलने पर पुलिस और परिजन मौके पर पहुंचे। शव की शिनाख्त उसी छात्र के रूप में की गई, जिसकी तलाश की जा रही थी। बच्चे के शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया, तब डॉक्टरों ने बताया कि शव 4 दिन पुराना है। बच्चे के पिता बाल की कटिंग के साथ-साथ ज्यादा कमाई के लिए मजदूरी भी करते हैं। वहीं स्कूल बंद होने के बावजूद बच्चा स्कूल के अंदर कैसे घुसा इसकी जांच की जा रही है।

नाबालिगों में बढ़ी सुसाईड की घटनाएं

केवल मोबाइल नहीं मिलने पर एक बच्चे ने इस तरह अपनी जान दे दी, यह चिंतनीय विषय है। पूर्व में भी इस तरह मोबाईल को लेकर नाबालिगों द्वारा जान देने और हत्या तक कर देने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जरुरी है कि स्कूलों में बच्चों के “मेन्टल हेल्थ” पर भी काम किया जाये। वहीं जिस तरह बच्चों में मोबाईल की लत बढ़ रही है, उसे भी रोकने की जरुरत है। मजदूरी करके परिवार का पेट पलने वाले शख्स ने कभी सोचा ही नहीं होगा कि उसका बच्चा इस तरह मोबाईल नहीं मिलने पर आत्महत्या करने जैसे कदम उठा लेगा। बहरहाल इस घटनाओं को लेकर पूरे समाज को चिंतन करने की जरुरत है।

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