नई दिल्ली। Joshimath Sinking: जोशीमठ में जमीन धंसने का दायरा लगातर बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार अब घरों को चिह्नित करके जमींदोज करने में जुट गई है। इसकी शुरुआत भी मंगलवार से हो गई। जोशीमठ की तरह ही कर्णप्रयाग और उत्तरकाशी में भी जमीन धंसने के मामले सामने आ चुके हैं।

Joshimath Sinking: नैनीताल के चायना पीक की पहाड़ियों में भी दरारें देखने को मिलीं हैं। अब इसे लेकर खतरा बढ़ता ही जा रहा है। विशेषज्ञों का साफ कहना है कि केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि हिमालयन रेंज के तहत आने वाले बाकी राज्यों पर भी तबाही का बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

कहां-कहां मंडरा रहा खतरा

Joshimath Sinking: इस मुद्दे पर हमने आईआईटी कानपुर के भू-वैज्ञानिक का कहना है कि इस वक्त पूरा हिमालयन रेंज बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है। मतलब पूरे रेंज पर खतरा है। इसमें उत्तराखंड के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, लेह-लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं। उत्तराखंड का पिथौरागढ़, बागेश्वर, उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग जिला भूकंप के जोन-5 में आता है।

वहीं, सिस्मिक जोन-4 में ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा शामिल है। देहरादून और टिहरी का हिस्सा दोनों जोन में शामिल है। मतलब उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों में प्राकृतिक आपदाओं के आने की आशंका ज्यादा है।