Mann Ki Baat: साल 2023 के पहले एपिसोड में पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ के पद्म विजेता अजय कुमार मंडावी का जिक्र

रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात में पद्म पुरस्कार विजेताओं की चर्चा करते हुए छत्‍तीसगढ़ के कांकेर के अजय कुमार मंडावी का जिक्र किया। उन्‍होंने सभी से अनुरोध करते हुए कहा कि पद्म पुरस्कार विजेताओं के प्रेरणादायक जीवन के बारे में विस्तार से जानें और दूसरों के साथ भी साझा करें।

उन्‍होंने आगे कहा कि पद्म पुरस्कार विजेताओं की एक बड़ी संख्‍या आदिवासी समुदाय और आदिवासी समाज से आती है। आदिवासी जीवन शहर से अलग है। इसकी अपनी चुनौतियां भी है।

जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीजों के संरक्षण और उन पर शोध के प्रयास भी होते हैं। ऐसे ही टोटो, हो, कुइ, कुवी और मांडा जैसी जनजातीय भाषाओं पर काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं। यह हम सभी के लिए गर्व की बात है।

पीएम मोदी ने कहा, धानीराम टोटो, जानुम सिंह सोय और बी. रामकृष्ण रेड्डी जी के नाम, अब तो पूरा देश उनसे परिचित हो गया है। सिद्धी, जारवा और ओंगे जैसी आदि-जनजाति के साथ काम करने वाले लोगों को भी इस बार सम्मानित किया गया है। जैसे – हीराबाई लोबी, रतन चंद्र कार और ईश्वर चंद्र वर्मा जी।

कांकेर में लकड़ी पर नक्काशी करने वाले अजय कुमार मंडावी और गढ़चिरौली के प्रसिद्द झाडीपट्टी रंगभूमि से जुड़े परशुराम कोमाजी खुणे को भी ये सम्मान मिला है। इसी प्रकार नॉर्थ-ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे बिक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है।

काष्ठ शिल्पी हैं अजय कुमार मंडावी

कांकेर जिले के ग्राम गोविंदपुर निवासी काष्ठ शिल्पी अजय कुमार मंडावी का पूरा परिवार किसी न किसी कला से जुड़ा है। शिक्षक पिता आरपी मंडावी मिट्टी की मूर्तियां बनाते हैं जबकि मां सरोज मंडावी की रुचि पेंटिंग में है। भाई विजय मंडावी अच्छे अभिनेता व मंच संचालक हैं।

मंडावी ऐसे कलाकार हैं, जो अपनी कला के जरिए देश के लिए नासूर बनी नक्सलवादी विचारधारा रखने वाले लोगों के विचारों में परिवर्तन ला रहे हैं। जिला जेल के करीब दो सौ ऐसे बंदियों को उन्होंने काष्ठ शिल्प में पारंगत किया है, जो कभी नक्सली थे।

कई नक्सली अपनी सजा खत्म होने के बाद उनकी सिखाई कला की बदौलत ही आज समाज में सम्मान की जिंदगी जी रहे हैं। अजय ने कई धार्मिक ग्रंथों के साथ ही हरिवंशराय बच्चन की अमर कृति मधुशाला को भी काष्ठ पर जीवंत किया है। बता दें कि अजय की कलाकृति पर राज्य सरकार ने वर्ष 2006 में स्टेट अवार्ड प्रदान किया है।

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