रायपुर। छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा अरसे से एक बड़ा मुद्दा रहा है। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आती है तो एक मजबूत पत्रकार सुरक्षा कानून बनाएगी। त्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने अपना वादा पूरा कर दिया है। आज हुई कैबिनेट की बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दे दी गई है।

जानें इस विधेयक की खास बातें
किन पत्रकारों को मिलेगी सुरक्षा
‘छत्तीसगढ मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून’ के नाम से तैयार इस मसौदे में सुरक्षा पाने के हकदार पत्रकारों की अर्हता आदि का भी जिक्र है। इसके अनुसार-
- ऐसा व्यक्ति जिसके गत 3 महीनों में कम से कम 6 लेख जनसंचार माध्यम में प्रकाशित हुए हों।
- ऐसा व्यक्ति जिसे गत 6 माह में किसी मीडिया संस्थान से समाचार संकलन के लिए कम से कम 3 भुगतान प्राप्त किया हो।
- ऐसा व्यक्ति जिसके फोटोग्राफ गत 3 माह की अवधि में कम से कम 3 बार प्रकाशित हुए हों।
- स्तंभकार अथवा स्वतंत्र पत्रकार जिसके कार्य गत 6 माह के दौरान 6 बार प्रकाशित/प्रसारित हुए हों।
- ऐसा व्यक्ति जिसके विचार/मत गत तीन माह के दौरान कम से कम 6 बार जनसंचार में प्रतिवेदित हुए हों।
- ऐसा व्यक्ति जिसके पास मीडिया संस्थान में कार्यरत होने का परिचय पत्र या पत्र हो।
मीडियाकर्मियों के पंजीकरण के लिए अथॉरिटी का गठन
- पत्रकारों के पंजीकरण के लिए भी सरकार अथॉरिटी का निर्माण करेगी। तैयार कानून के प्रभावी होने के 30 दिन के अंदर सरकार पत्रकारों के पंजीकरण के लिए अथॉरिटी नियुक्त करेगी।
- अथॉरिटी का सचिव जनसम्पर्क विभाग के उस अधिकारी को बनाया जाएगा जो अतिरिक्त संचालक से निम्न पद का न हो। इसमें दो मीडियाकर्मी भी होंगे जिनकी वरिष्ठता कम से कम 10 वर्ष हो। इनमें से एक महिला मीडियाकर्मी भी होंगी, जो छत्तीसगढ़ में रह और कार्य कर रही हों।
- अथॉरिटी में शामिल होने वाले मीडियाकर्मियों का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। कोई भी मीडियाकर्मी लगातार 2 कार्यकाल से ज्यादा अथॉरिटी का हिस्सा नहीं रह सकता।
पत्रकारों की सुरक्षा के लिए समिति का गठन
समिति द्वारा तैयार किए गए कानून के लागू होने के 30 दिन के भीतर छत्तीसगढ़ सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक समिति का गठन करेगी। यह समिति पत्रकारों की प्रताड़ना, धमकी या हिंसा या गलत तरीके से अभियोग लगाने और पत्रकारों को गिरफ्तार करने संबंधी शिकायतों को देखेगी।
इस समिति का सदस्य कौन होगा
कोई पुलिस अधिकारी, जो अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक से निम्न पद का न हो। जनसम्पर्क विभाग के विभाग प्रमुख और तीन पत्रकार, जिन्हें कम से कम 12 वर्षों का अनुभव हो। जिनमें कम से कम एक महिला सदस्य होंगी। इस समिति में भी नियुक्त किए गए पत्रकारों का कार्यकाल दो साल का ही होगा और कोई भी पत्रकार दो कार्यकाल से ज्यादा इस समिति का हिस्सा नहीं बन सकता है।
यही नहीं पत्रकारों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के लिए सरकार एक वेबसाइट का निर्माण भी कराएगी। जिसमें पत्रकारों से संबंधित प्रत्येक सूचना या शिकायत और उस संबंध में की गई कार्यवाही दर्ज की जाएगी। जो इस अधिनियम के आदेश के अधीन होगा। किन्तु सूचना अपलोड करते समय यदि उस व्यक्ति की सुरक्षा प्रभावित होती है तो शासन ऐसे समस्त उचित उपाय करेगा, जिसमें संबंधित व्यक्ति की गोपनीयता रखने और उसकी पहचान छुपाने के उपाय भी हो सकें।
पूरा विधेयक पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हर जिले में जोखिम प्रबंधन इकाईयां
- पत्रकारों की सुरक्षा के लिए समिति के गठन के 30 दिन बाद सरकार छत्तीसगढ़ के हर एक जिले में जोखिम प्रबंधन इकाई का गठन करेगी।
- इस जोखिम इकाई के सदस्य जिले के कलक्टर, जिला जनसम्पर्क अधिकारी, पुलिस अधीक्षक और दो पत्रकार भी होंगे जिनका अनुभव कम से कम सात साल हो।
- इन दो पत्रकारों में एक महिला पत्रकार होंगी।
- ये संबंधित जिले के ही निवासी होंगे। जोखिम इकाई में शामिल पत्रकारों का भी कार्यकाल दो साल का ही होगा। ये भी दो कार्यकाल से ज्यादा इकाई के सदस्य नहीं रह सकते हैं।
तैयार क़ानूनी मसौदे के अनुसार जिस व्यक्ति (पत्रकार) को सुरक्षा की आवश्यकता होगी उसके सबसे नजदीक स्थित जोखिम प्रबंधन इकाई प्रताड़ना, धमकी या हिंसा की सूचना और और शिकायत मिलने पर उसे देखेगी। प्रताड़ना, धमकी या हिंसा से संबंधित सभी शिकायतें या सूचना प्राप्त होने पर उसे तत्काल सुरक्षा देने के बाद तत्काल संबंधित जोखिम प्रबंधन इकाई को भेजेगा।
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