टीआरपी डेस्क। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान और चीन की नागरिकता लेने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई अचल संपत्तियों ( शत्रु संपत्तियों ) को बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। देश में कुल 12,611 प्रतिष्ठान को शत्रुओं की संपत्ति माना जाता है, जिनकी कीमत लगभग 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। यह सभी संपत्तियां भारत के शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक (सीईपीआई) में निहित हैं।

गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, शत्रु संपत्तियों के निपटान के लिए दिशा-निर्देशों के तहत संपत्तियों की बिक्री से पहले संबंधित जिला मजिस्ट्रेट या उपायुक्त की मदद से इनको खाली करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
1 करोड़ रुपये से कम मूल्य की शत्रु संपत्ति के मामले में, संरक्षक पहले रहने वाले को खरीदने की पेशकश करेगा और यदि कब्जा करने वाले इसे खरीदने से मना करते हैं, तो शत्रु संपत्ति को दिशा निर्देशों में निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार निपटाया जाएगा।
20 राज्यों और तीन केन्द्र शासित प्रदेशों में सर्वेक्षण शुरू
गृह मंत्रालय ने 20 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में फैली शत्रु संपत्तियों का राष्ट्रीय सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। सरकार ने शत्रु संपत्तियों के मुद्रीकरण की निगरानी के लिए 2020 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक समूह का गठन किया है। CEPI के पास निहित 12,611 संपत्तियों में से कुल 12,485 पाकिस्तानी नागरिकों से संबंधित थीं और 126 चीनी नागरिकों से संबंधित थीं।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक शत्रु संपत्ति
सबसे अधिक शत्रु संपत्तियां उत्तर प्रदेश में पाई गई हैं, यहां इन संपत्तियों की कुल संख्या 6,255 है। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 4,088 संपत्तियां, दिल्ली में 659, गोवा में 295, महाराष्ट्र में 208, तेलंगाना में 158, गुजरात में 151, त्रिपुरा में 105, बिहार में 94, मध्य प्रदेश में 94, छत्तीसगढ़ में 78 और हरियाणा में कुल 71 शत्रु संपत्तियां हैं।
इसके अलावा केरल में 71, उत्तराखंड में 69, तमिलनाडु में 67, मेघालय में 57, असम में 29, कर्नाटक में 24, राजस्थान में 22, झारखंड में 10, दमन और दीव में चार और आंध्र प्रदेश तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक-एक शत्रु संपत्तियां हैं।
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