PINGUA CORT

बिलासपुर। हाई कोर्ट की अवमानना के मामले में प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ के खिलाफ पांचवां नोटिस जारी किया गया है। राज्य शासन की स्थानांतरण नीति के तहत किये गए तबादलों के खिलाफ न्यायालय की शरण लेने वाले शिक्षकों के पक्ष में किये गए फैसलों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके चलते कोर्ट ने अवमानना का नोटिस जारी किया गया है।

दिव्यांग शिक्षक को नहीं दी राहत

ताजा मामला राजनांदगांव के शीतला माता वार्ड के शिक्षक दुलेलराम कुंजाम का है, जिनका राजनांदगांव से डोंगरगढ़ तबादला किया गया था। स्थानांतरण के खिलाफ दुलेलराम कुंजाम ने उच्च न्यायालय, बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट में जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू ने मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता शारीरिक रूप से दिव्यांग है एवं उसकी उम्र 55 वर्ष है इस आधार पर स्थानांतरण समिति नियमानुसार निर्णय ले।

हाईकोर्ट बिलासपुर द्वारा पारित आदेश का पालन ना किये जाने पर दुलेलराम कुंजाम ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय, घनश्याम शर्मा एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर में अवमानना याचिका दायर की। अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय, घनश्याम शर्मा एवं दुर्गा मेहर ने हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित स्थानांतरण समिति के अध्यक्ष IAS मनोज पिंगुवा द्वारा किसी भी मामले में हाईकोर्ट, बिलासपुर के आदेश का पालन ना कर हाईकोर्ट की घोर अवमानना की जा रही है।

एक महीने में इतनी अवमानना..!

अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया कि IAS मनोज पिंगुवा द्वारा मार्च माह के भीतर लगातार पांचवी बार हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना किये जाने पर उनके विरूद्ध अवमानना की कार्यवाही प्रारंभ कर गंभीर दण्डादेश पारित किया जाए। उच्च न्यायालय, बिलासपुर के सिंगल जज पार्थ प्रतीम साहू द्वारा उक्त अवमानना याचिका की सुनवाई के पश्चात् IAS मनोज पिंगुवा के विरूद्ध अवमानना नोटिस जारी कर तत्काल जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

इन प्रकरणों में हुई अवमानना

लगातार एक माह के भीतर डॉ. वंदना भेले विरूद्ध मनोज पिंगुवा के मामले में डिवीजन बेंच द्वारा, डॉ. राकेश प्रेमी विरूद्ध मनोज पिंगुवा, कुंजेश्वर कौशल विरुद्ध मनोज पिंगुवा, योगेन्द्र कौशल विरूद्ध मनोज पिंगुवा, दुलेलराम कुंजाम विरूद्ध मनोज पिंगुवा के मामले में सिंगल बेंच द्वारा इस प्रकार एक माह के भीतर लगातार पांच मामलों में आई.ए.एस. मनोज पिंगुवा के विरूद्ध हाईकोर्ट की अवमानना मामले में नोटिस जारी की गई है।

आईएएस मनोज पिंगुवा द्वारा किसी भी मामले में निर्धारित समयसीमा के भीतर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। अधिवक्ताओ ने हाईकोर्ट के समक्ष यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि न्यायालय अवमानना अधिनियम 1971 की धारा-12 में जुर्माना एवं कठोर दण्डादेश का प्रावधान किया गया है।

न्यायालय का समय हो रहा है बर्बाद

हाईकोर्ट बिलासपुर द्वारा अवमानना मामलों में कठोर कार्यवाही ना किये जाने से कोर्ट के समक्ष अवमानना मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है एवं न्यायालय का कीमती समय जाया हो रहा है। इसके चलते सैकड़ों अन्य पीड़ित पक्षकारों के मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। अधिवक्तागण द्वारा यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि एक रिट मामले की सुनवाई के दौरान स्कूल शिक्षा सचिव, छत्तीसगढ़ शासन रायपुर द्वारा एक मामले में निर्धारित समयसीमा के भीतर हाईकोर्ट के आदेश का पालन ना किये जाने एवं समय पर जवाब प्रस्तुत ना किये जाने पर सिंगल जज राकेश मोहन पाण्डेय द्वारा स्कूल शिक्षा सचिव के विरुद्ध 20,000 रूपये का जुर्माना अधिरोपित किया गया है।

गौरतलब है कि इस वर्ष हजारों की संख्या में शिक्षकों और कर्मियों का तबादला हुआ है। इस दौरान तबादले से असंतुष्ट सैकड़ों कर्मी हाई कोर्ट की शरण में गए। कोर्ट ने सुनवाई के बाद अनेक मामलों में नियम विरुद्ध तबादले होना पाया और IAS मनोज पिंगुवा की अध्यक्षता में गठित समिति को अभ्यावेदन पर विचार करने अथवा तबादला निरस्त करने का आदेश सुनाया, मगर कई मामलों में कमेटी ने अनदेखी की, जिसके चलते अब कमेटी प्रमुख मनोज पिंगुवा को अवमानना का नोटिस पर नोटिस जारी हो रहा है। माना जा रहा है कि कोर्ट की कठोर कार्रवाई से बचने के लिए पिंगुवा अपनी तरफ से जल्द ही पहल करके प्रकरणों को निपटाने का प्रयास करेंगे।

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