DMF RAIGARH

रायगढ़। जिले में पूर्व कलेक्टर द्वारा DMF के मद से विभागों को बिना किसी जरुरत के दिए गए फंड की हकीकत अब सामने आती जा रही है। ऐसे ही एक मामले में कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा ने समाज कल्याण विभाग को दिए गए 4 करोड़ रूपये से सामग्री खरीदी के लिए जारी टेंडर को निरस्त कर दिया है। इस मामले में यह जानकारी सामने आयी है कि कोई जरुरत नहीं होने के बावजूद समाज कल्याण विभाग से मांग पत्र बनवाकर नौ ब्लॉक के लिए खरीदी का आदेश दिया गया और विभाग द्वारा टेंडर जारी कर दिया गया।

डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (DFMT) से प्रदेश के अधिकांश जिलों में सामग्रियों की सप्लाई की आड़ में लाखों करोड़ों रुपयों के वारे-न्यारे अब भी हो रहे हैं। जिलों की अधोसंरचना को मजबूत बनाने और खनन प्रभावितों को लाभ पहुंचने की बजाय सामग्री खरीदी पर ही ध्यान दिया जा रहा है। जिला प्रमुखों की इसी रणनीति के तहत रायगढ़ जिले में समाज कल्याण विभाग को भी दिव्यांगों के लिए उपकरण खरीदने चार करोड़ रुपए दिए गए थे, लेकिन इसके लिए टेंडर ही निरस्त हो गया है। हालांकि जिले में वर्ष 2019 से अब तक DMF को ऐसे खर्च किया गया जैसे कोई बाजार में शॉपिंग करता है। यहां मनमाने तरीके से केवल खरीदी में ही ज्यादा राशि खर्च की गई।

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शासी परिषद में कोई प्रस्ताव नहीं

बता दें कि समाज कल्याण विभाग रायगढ़ को सारंगढ़ और बरमकेला सहित नौ ब्लॉकों में 7983 वृद्ध और दिव्यांगजनों के लिए विभिन्न उपकरण खरीदी करने के लिए 3 करोड़ 99 लाख 82 हजार 500 रुपए स्वीकृत किए गए थे। दिलचस्प बात यह है कि प्रत्येक ब्लॉक में 887 हितग्राहियों को ही उपकरण वितरण करने का उल्लेख किया गया था। इससे भी मजेदार बात यह है कि कार्य स्वीकृति के पूर्व इसे शासी परिषद की बैठक में भी नहीं रखा गया था। इसके लिए उप संचालक, समाज कल्याण को 3,19,86,000 रुपए जारी भी कर दिए गए। बीते चार महीनों से यह राशि विभाग के एकाउंट में जमा है।

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टेंडर जारी होने के बाद किया निरस्त

समाज कल्याण विभाग ने इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिया था, मगर खरीदी होने के पूर्व ही कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने टेंडर निरस्त कर दिया। टेंडर निरस्त होने के बाद अब इस कार्य के होने की उम्मीद कम है, हालांकि अभी तक इन कार्यों को निरस्त नहीं किया गया है।

बजट के बावजूद DMF से फंड क्यों..?

बता दें कि समाज कल्याण विभाग को दिव्यांगों के लिए ट्राइसायकिल समेत कई तरह के उपकरण खरीदने के लिए शासन से फंड मिलता है। इसके बावजूद DMF से चार करोड़ रुपए क्यों जारी कर दिए गए, यही सवाल DMF के बंदरबांट की ओर इशारा करता है। रायगढ़, पुसौर, खरसिया, लैलूंगा, धरमजयगढ़, तमनार, घरघोड़ा, बरमकेला और सारंगढ़ के लिए यह राशि दी गई। कहा जा रहा है कि इस टेंडर के लिए वेंडर भी पहले से तय हो गया था, मगर अब टेंडर निरस्त हो जाने से कमीशनखोरों के मंसूबों पर पानी फिर गया है।

इस मामले में उप संचालक समाज कल्याण, रायगढ़, आलोक भवाल का कहना है कि विभाग को दिव्यांगों और वृद्धों के लिए सामग्री क्रय करने चार करोड़ रुपए DMF से मिले थे। टेंडर भी जारी हुआ था लेकिन निरस्त कर दिया गया है और राशि विभाग के पास ही है।

वहीं जब TRP संवाददाता ने रायगढ़ जिले के DMF के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर गगन शर्मा से टेंडर निरस्त होने के संबंध में जानकारी चाही तब उन्होंने कहा कि टेंडर निरस्त हुआ है, यह खबर सही है, मगर नोटशीट पर इसकी वजह क्या बताई गई है, यह वे नहीं बता सकते, उन्होंने कार्यालय में आकर जानकारी लेने की बात कही।

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