HATHI MAUT

धरमजयगढ़। रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र में एक और हाथी की करेंट की चपेट में आने से मौत हो गई। यहां के ग्राम चुहकीमार में एक नर हाथी का शव मिला है। बनहर बीट में हाथी का शव मामले की जानकारी लगते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर मृत हाथी का पोस्टमार्टम कराया। उसकी उम्र करीब 5 से 6 वर्ष की बताई जा रही है।

शव को छिपाने का प्रयास

घटनास्थल पर जब मीडिया कर्मी पहुंचे तो यहां मौजूद DFO अभिषेक जोगावत ने हाथी के शव तिरपाल से ढंकवा दिया, ऐसा लग रहा था मानो हाथी की मौत के सबूत मीडिया के कैमरे में न कैद न हो जाये। हर बार की तरह इस बार भी DFO पीएम के बाद ही मौत की वजह के खुलासे की बात कहते रहे

तिरपाल से ढंके हाथी के शव के साथ डीएफओ

CCF ने बताई हकीकत

CCF बिलासपुर जगदीशन के छुट्टी पर होने के चलते उनका प्रभार SS कंवर देख रहे हैं। TRP न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने बताया कि हाथी की मौत करेंट से हुई है यह तय है, और इसका पूरा खुलासा पोस्टमार्टम से हो जायेगा। कंवर ने बताया कि हाथी के सूंड में काला निशान मिला है, जो करेंट से होना जान पड़ता है। घटनास्थल के आसपास तार का बण्डल मिलने की जानकारी भी उन्होंने दी है।

CCF कंवर ने बताया कि इस इलाके में ग्रामीण मूंगफली की खेती करते हैं। अपने खेतो के बचाव के लिए इनके द्वारा करेंट लगा दिया जाता है। अक्सर जंगली जानवर इसकी चपेट में आकर मारे जाते हैं।

घटनास्थल के आसपास खेत के बीच नजर आ रहा बिजली का बोर्ड

मैदानी अमला अब भी लापरवाह

प्रदेश में धरमजयगढ़ क्षेत्र में ही सर्वाधिक हाथियों की मौत हुई है और इनमे सबसे ज्यादा घटना करेंट की वजह से हुई है। बावजूद इसके वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपने मैदानी अमले को यहां सक्रिय नहीं कर पाए हैं। मैदानी अमले का यही काम है कि वे जंगली जानवरों को खतरे में डालने वाली चीजों की निगरानी करें मगर इस इलाके में ऐसा होता नजर नहीं जा रहा है। संभव है कि PM रिपोर्ट आने के बाद विभागीय जाँच में जिम्मेदारी तय की जाएगी और छोटे-मोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर दी जाएगी। बेहतर ये है कि हाथियों सहित अन्य जंगली जानवरों की सुरक्षा की जो जिम्मेदारी पूरे अमले को दी गई है उसे अच्छी तरह निभाया जाये।

हाथी-मानव संघर्ष पर कैसे लगे लगाम..?

गौरतलब है कि धर्मजयगढ़ वन इलाके में बीते कई सालो से जंगली हाथियों की संख्या में इजाफा हुआ है और इलाके में चालीस से अधिक गांव इन जंगली हाथियों के आतंक से जूझ रहे हैं। बीते पांच साल में बढ़ती हाथियों की संख्या में आम जनता व जंगली हाथियों के बीच संघर्ष भी देखा जा रहा, जिससे दो दर्जन से अधिक जंगली हाथियों के करंट या अन्य वजह से मौत हो चुकी है। वहीं आए दिन जंगली हाथियों द्वारा ग्रामीण किसानों की फसलों को लगातार नुकसान भी पहुंचाया जा रहा है।

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