COLECTRATE GARIYABAND

दुर्ग। सालों तक गैरहाजिर रहने के बाद कर्मचारियों को बहाल कर देने का मामला कोरबा के बाद गरियाबंद जिले में भी उजागर हुआ और प्रारंभिक जांच के बाद DEO कार्यालय में पदस्थ बाबू पर ही कार्रवाई की गई। इस मामले में मुख्यालय से नोटिस मिलने के बाद जारी नोटिस का DEO गरियाबंद ने जवाब दिया और इसके उपरांत DEO के अधीनस्थ बाबू केसी साहू को फाइलमें गड़बड़ी करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया।

ये है मामला…

जिले के गरियाबंद ब्लॉक के नवागढ़ प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षाकर्मी गैंद लाल ध्रुव सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 1 नवंबर 2014 से अनुपस्थित था। उसे 9 साल बाद 3 मार्च 2023 को पुनः उसी शाला में जिला शिक्षा अधिकारी डीएस चौहान ने कार्यभार ग्रहण कराने का आदेश जारी कर दिया। BEO ने भी इस आदेश का पालन करते हुए शिक्षाकर्मी ध्रुव को उसी स्कूल में बहाल करवा दिया।

शिक्षाकर्मी ध्रुव को केवल बहाल ही नहीं किया गया बल्कि इतने सालों में उसके सहकर्मियों की तरह उसे भी पदोन्नति और संविलियन का लाभ देते हुए उसे सहायक शिक्षक एलबी भी बना दिया गया। बताया जा रहा है कि पूर्व के वर्षों में जब दूसरे शिक्षाकर्मियों को लाभ दिया गया था तब ही शिक्षाकर्मी गैंद लाल ध्रुव को DEO कार्यालय बुलवाकर फाइलों को दुरुस्त करते हुए संविलियन और पदोन्नति दे दी गई।

DEO को जारी किया गया नोटिस

बरसों पहले नौकरी छोड़कर चले गए शिक्षक को अब जाकर दोबारा बहाल किये जाने का मामला जब मीडिया में सुर्खियां बना तब महकमे के लोगों ने आश्चर्य व्यक्त किया। यह मामला संज्ञान में आने के बाद संभागीय संयुक्त संचालक के. कुमार ने इस तरह की बहाली को नियम के खिलाफ मानकर डीईओ चौहान को कड़ा पत्र लिखकर कारण बताओ नोटिस का जवाब मांगा।

DEO डीएस चौहान

संभागीय संयुक्त संचालक के. कुमार ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्होंने शासकीय कर्मियों की अवैधानिक अनुपस्थिति के मामले में अनुशासनात्मक कार्यवाही को लेकर शासन द्वारा जारी गाइडलाइन का कड़ाई से पालन किया जाने संबंधी दिशानिर्देश जारी किया गया था। इस संबंध में विभागीय समीक्षा बैठक में भी उनके द्वारा स्पष्ट निर्देश दिये गये थे।

के. कुमार ने DEO को लिखा है कि आपके द्वारा गैंद लाल ध्रुव, सहा. शिक्षक एल.बी. शा.प्रा. शाला नवागढ़, वि.ख. गरियाबंद के दिनांक 01.11.2014 से बिना किसी सूचना के अनुपस्थिति रहने के उपरांत चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति प्रदाय की गई है। आपके द्वारा छ.ग. शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय के द्वारा दिये गये निर्देश की अवहेलना करते हुये संबंधित शिक्षक एल.बी. को कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति प्रदाय की गई है। आपका यह कृत्य छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के धारा 16 उपधारा 1 के विपरीत है। उच्च कार्यालय के आदेशों की अवहेलना करना स्वेच्छाचारिता को दर्शाता है। आपके संदर्भित पत्र क्रमांक 2 से जहां एक ओर शासन को वित्तीय क्षति होने की संभावना है वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों में जानबूझ कर लम्बी अवधि में अनुपस्थित रहने का बढ़ावा मिलेगा। क्यों न उक्त कृत्य के लिये आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जावे। पत्र मिलने के 02 दिवस के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करें अन्यथा यह समझा जावेगा कि आपको इस विषय में कुछ नहीं कहना और आपके खिलाफ एकतरफा अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी, जिसके लिये आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।

उपस्थिति के बगैर रिकॉर्ड कैसे हो गए दुरुस्त..?

सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, 1 नवम्बर 2014 से बगैर किसी लिखित कारण के अनुपस्थित शिक्षाकर्मी, सहायक शिक्षक एलबी बन गया। 2014 से 2018 के बीच नियमितिकरण, संविलियन और वेतन वृद्धि की प्रक्रिया चली, लेकिन अनुपस्थित शिक्षक की उपस्थिति प्रक्रिया के कागजों में कैसे दिखती रही? कार्य में अनुपस्थित शिक्षक के खिलाफ क्यों कोई कार्रवाई नहीं हुई, नियमितिकरण जैसे फाइलों में भी आसानी से नाम कैसे चढ़ गया?

बाबू के निलंबन का आदेश पहुंचा

शिक्षक की बहाली मामले में संयुक्त संचालक (JD) के कुमार के शो कॉज नोटिस का DEO डी एस चौहान ने जवाब भेजा। जिसके बाद JD के हस्ताक्षर से बाबू केसी साहू को फाइलों में गड़बड़ी करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। बताया जा रहा है कि JD ने अपने अधिकार क्षेत्र के तहत बाबू को निलंबित किया है। चूंकि इस मामले में DEO की भूमिका प्रमुख है, इसलिए अब उनके खिलाफ मुख्यालय स्तर पर कार्यवाही की जा सकती है।

डीईओ चौहान द्वारा जारी आदेश की प्रति में शिक्षक की 9 साल से अनुपस्थिति का कारण मानसिक रोग बताया गया है। ज्वाइनिंग के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने का जिक्र तो है, पर अनाधिकृत अनुपस्थिति के लिए मेडिकल लीव या कोई वैधानिक दस्तावेज का जिक्र नहीं है। नियम और निर्देश की मानें तो इन परस्थिति में कार्यभार के बजाए कार्रवाई किया जाना था।

मुझे देवी-देवता नजर आते थे..!

बहाल किये गए शिक्षक गैंद लाल ध्रुव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह बीमार पड़ गया था, उसे अक्सर देवी-देवता नजर आते थे। उसका कई सालों तक मानसिक अस्पताल में इलाज भी चला, जिसकी वजह से वह ड्यूटी पर हाजिर नहीं हो सका। बाद में उन्हें DEO से नोटिस मिला कि आप ज्वाइन नहीं कर रहे हैं, आपकी बर्खास्तगी हो सकती है।

शिक्षक गैंद लाल ध्रुव

DEO की क्या है सफाई..?

TRP न्यूज़ ने इस संबंध में DEO डी एस चौहान का पक्ष जानना चाहा, तब उन्होंने कहा कि शासन के आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि अगर कोई कर्मचारी लंबी अनुपस्थिति के बाद बहाली के लिए आवेदन करता है तो उसे सबसे पहले बहाल किया जाये, फिर उसे नोटिस जारी करके वस्तुस्थिति का पता लगाया जाये। DEO ने कहा कि कर्मचारी को बहाल किये बिना उसे शो कॉज नोटिस और अन्य प्रक्रिया कैसे संभव है? इसलिए मैने सर्वप्रथम उसे बहाल किया। DEO से जब पूछा गया कि क्या बीते 9 वर्षों में शिक्षक ध्रुव को कभी कोई नोटिस जारी किया गया, तब उन्होंने कहा कि दो या तीन बार नोटिस जारी हुआ है। बाकि उन्होंने BEO पर टाल दिया जबकि BEO ने अपनी जांच रिपोर्ट में केवल ध्रुव की अनुपस्थिति का उल्लेख किया है। उसकी रिपोर्ट में शिक्षक को नोटिस जारी करने का कोई उल्लेख नहीं है।

दिग्भ्रमित कर रहे हैं DEO

गरियाबंद DEO डी एस चौहान द्वारा दिए गए तर्क के संबंध में नियम कायदों की जानकारी के लिए हमने JD के. कुमार को कई बार फोन किया मगर उन्होंने रिसीव नहीं किया। जिसके बाद संवाददाता ने शिक्षा विभाग में JD के रैंक के ही एक अन्य अधिकारी से नियम के बारे में पूछा तब उन्होंने बताया कि कोई भी शासकीय कर्मी अगर बिना बताये 3 साल तक अनुपस्थित रहता है, तब उसे निलंबित नहीं, बल्कि सीधे बर्खास्त करने का प्रावधान है। इससे ज्यादा वर्षों तक बिना सूचना पर तो नौकरी में दोबारा बहाली का तो सवाल ही नहीं है।

ऐसे ही मामले में अब तक कार्रवाई नहीं…

बताते चलें कि ठीक ऐसा ही मामला कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में सामने आया था, जहां पदस्थ तत्कालीन BEO LS जोगी ने लगभग सात साल से पदस्थ एक कर्मचारी को बहाल कर दिया। इतना ही नहीं उस कर्मचारी का अनुपस्थिति का वेतन भी जारी कर दिया गया। यहां ऐसे ही दो अन्य मामले उजागर हुए। जिसके बाद BEO जोगी के दो अधीनस्थों को निलंबित कर दिया गया, मगर JD स्तर की जांच होने के महीनों बाद भी BEO जोगी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है, उलटे उनका तबादला बिलासपुर जिले में करते हुए तखतपुर का BEO बना दिया गया है।

इस तरह की अंधेरगर्दी शिक्षा विभाग में ही संभव है। बहरहाल देखना यह है कि गरियाबंद जिले में DEO द्वारा किये गए अनोखे कृत्य के बाद मुख्यालय उन्हें बख्शता है या कोई कार्यवाही भी करता है।

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