thagi ki koching

चंडीगढ़। देश के नए जामताड़ा हरियाणा के नूंह इलाके में 200 से ज्यादा साइबर ठगों को पकड़ने के बाद एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। नूंह में 40 हजार से लेकर एक लाख रुपये की फ़ीस लेकर ठगी का धंधा सिखाया जाता था। ऑनलाइन लेक्चर देकर गांव-गांव में साइबर ठगों की फौज तैयार की जा रही थी।

कोचिंग सेंटरों पर नजर

शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े नूंह जिले के इन गांवों में ठगी के कोचिंग सेंटर भी संचालित किए जाते थे। इन कोचिंग सेंटरों में साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी जाती थी। पुलिस की नजर अब इन कोचिंग सेंटर्स पर है। पकड़े गए ठगों से पूछताछ के बाद इन कोचिंग सेंटरों के विषय में पुलिस को खासी जानकारी मिली है। पुलिस इन कोचिंग सेंटर के नेटवर्क को भी ध्वस्त करने की तैयारी में जुट गई है।

कोचिंग सेंटर का जामताड़ा कनेक्शन

ठगी की ट्रेनिंग के इस अवैध कारोबार में जामताड़ा कनेक्शन भी सामने आया है। ठगी की क्लास लगाने वाले इन अवैध कोचिंग सेंटरों का अपना पाठ्यक्रम और यूनिफार्म भी है। इसमें ऑनलाइन लेक्चर भी दिए जाते थे।

इलाके के युवा हुए भूमिगत

पुलिस की इस कार्रवाई के बाद से ही गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के ज्यादातर युवा पड़ोसी जिलों और राज्यों में रहने वाले अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं।

बता दें कि स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और नूंह पुलिस ने पांच हजार पुलिसकर्मियों के साथ 14 गांवों में एक साथ 300 ठिकानों पर छापामार कार्रवाई करके 47 लोगों को गिरफ्तार किया और 160 लोगों को हिरासत में लिया गया था। यह लोग साइबर ठगी में लिप्त थे।
अब पुलिस को जानकारी मिल रही है कि क्षेत्र में साइबर ठगी ही नहीं यह लोग इसके प्रशिक्षण देने का काम भी करते थे। इससे यह लोग अपने लिए काम करने वाले लोगों को तैयार करते थे।

एडमिशन से पहले लंबी प्रक्रिया..!

ऑनलाइन ठगी की ट्रेनिंग के लिए एडमिशन देने से पहले यह सुनिश्चित किया जाता था कि ठगी के इस कारोबार में आने वाले के कुछ और इरादे तो नहीं हैं। एडमिशन से पहले सवाल-जवाब की लंबी प्रक्रिया होती थी। इसमें पूछते थे कि यह काम क्यों करना चाहते हैं। यही काम क्यों करना है। संतुष्ट होने के बाद ही एडमिशन दिया जाता है।

जामताड़ा के ठगों से भी ट्रेनिंग

नूंह के इस इलाके में एक या दो कमरों के मकान या मकान की छत पर टिनशेड में ट्रेनिंग देने का काम किया जाता। यहां पर एडमिशन के लिए अपना लैपटाॅप, कॉल सेंटर में काम का अनुभव आदि होना जरूरी था। इसके अलावा ऑनलाइन क्लास भी लगाई जाती। पुलिस को जानकारी मिली है कि यहां के कुछ युवक जामताड़ा के ठगों से भी ट्रेनिंग हासिल किए हुए हैं। इस बिंदु पर भी पुलिस जांच करेगी।

पुलिस अधीक्षक नूंह वरुण सिंगला ने बताया कि आरोपियों से महत्वपूर्ण जानकारी मिली हैं। पता चला है कि गांव के बेरोजगार युवा कोचिंग लेकर ठगी के इस काले कारोबार से जुड़ते थे। ट्रेनिंग के इस खेल में जामताड़ा कनेक्शन भी सामने आया है। कार्रवाई के दौरान ठगों से मिले सिम कार्डों की डिटेल भारतीय साइबर क्राइम समन्वय केंद्र को भेज रहे हैं। वहां से इनके दूसरे राज्यों में बैठे ठग और इनकी ट्रेनिंग आदि का पता चलेगा। अब ट्रेनिंग देने वालों को भी घेरा जाएगा।

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