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रायपुर। भानुप्रतापपुर विधानसभा के उपचुनाव में पहली बार अपना प्रत्याशी उतारने के बाद सर्व आदिवासी समाज ने छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव भी लड़ने की घोषण कर दी है। पूर्व सांसद सोहन पोटाई के निधन के बाद अध्यक्ष बनाये गए अरविंद नेताम ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि जल-जंगल और जमीन हमारे संगठन का सबसे बड़ा मुद्दा होगा।

साय के कांग्रेस में जाने का नुकसान भाजपा को

वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय के भाजप छोड़ कांग्रेस में चले जाने के सवाल पर अरविन्द नेताम ने इसे साय का निजी फैसला बताया और कहा कि कांग्रेस पार्टी में नंद कुमार साय को क्या स्थान और कितना सम्मान मिलता है यह तो नहीं पता मगर उनके इस कदम का नुकसान भारतीय जनता पार्टी को होगा यह तय है। नेताम ने कहा कि आज तक आदिवासी जिस पार्टी में भी रहा है, केवल मोहरा बनकर रह गया है।

सत्ता में रहे तो…

अरविन्द नेताम ने कहा कि कहा कि हमने नक्सली समस्या, सामाजिक समस्या सभी का अध्ययन किया है, अगर सर्व आदिवासी समाज (SAS) सत्तापक्ष में रहा तो हम इसका राजनीति सॉल्यूशन निकालेंगे। गैर आदिवासियों के भी समाज के साथ होने की बात कहते हुए नेताम स्पष्ट किया कि जनरल वाले आना चाहते हैं, तो हमारी पार्टी को मजबूती मिलेगी।

डिलिस्टिंग के बारे में ये कहा नेताम ने…

प्रदेश में धर्मान्तरित आदिवासियों को डिलिस्टिंग करते हुए आरक्षण के लाभ से मुक्त करने की मांग को लेकर चलाये जा रहे मुहिम की अरविन्द नेताम ने आलोचना की। उन्होंने कहा कि जो बच्चा आदिवासी समुदाय में जन्म लेता है, वह आजन्म आदिवासी होता है। अगर उसने अन्तर्जातीय विवाह कर लिया हो तो भले ही समाज उसे दंड देता है मगर उसे समाज से बाहर नहीं किया जा सकता। नेताम ने कहा कि कौन शख्स आदिवासी होगा यह राष्ट्रपति तय करते हैं। वे यह पहली बार देख रहे हैं की तथाकथित लोग धर्मान्तरण करने वाले आदिवासियों को डिलिस्टिंग करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति के अधिकारों को चुनौती दे रहे हैं और एक नया विवाद खड़ा कर रहे हैं।

बस्तर क्यों है अशांत..?

SAS के कार्यकारी अध्यक्ष बी एस रावटे ने सवाल उठाया कि आज बस्तर क्यों अशांत है? उन्होंने कहा कि बस्तर इलाके से शिक्षा नदारद है, स्कूल नहीं है, सलवा जुडूम के दौरान सैकड़ों गांवों में स्कूल बंद हो गए थे, वे वापस खुले क्यों नहीं ? उलटे सरकार आत्मानंद अंग्रेजी स्कूलों का ढिंढोरा पीट रही है, जबकि सच तो यह है कि इन अंग्रेजी स्कूलों में भी आरक्षण व्यवस्था नहीं है। आप किस दिशा में ले जाना चाहते हैं ट्राइबल को?

किसी पार्टी पर नहीं रह गया भरोसा…

बी एस रावटे ने कहा कि अब हमारा किसी भी पार्टी पर भरोसा नहीं रह गया है। 75 साल बहुत होता है। हमारे पूर्वजों ने मुगलों और अंग्रेजों से इसलिए लड़ाई नहीं लड़ी थी कि हमको नौकरी चाहिए, हम तो जल-जंगल-जमीन के लिए लड़े थे।

एक नियम के चलते जा रही है हमारी जमीन

पूर्व IPS अधिकारी और गोंडवाना समाज के प्रमुख अकबर राम कोर्राम ने बताया कि हमने हाल ही में बस्तर और सरगुजा संभाग का दौरा किया और समाज के लोगों से मुलाकात की। सभी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। ट्राइबल की जल-जंगल-जमीन और नौकरी है और जिस दिन ये सभी छीने जायेंगे आदिवासी मजदूर बनकर रह जायेगा। कोर्राम ने बताया कि छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार ने अगस्त 2016 में एक आदेश जारी किया जिसके मुताबिक आदिवासियों की जमीन 29 साल 11 महीने के लिए गैर आदिवासी लीज पर ले सकता है। इस आदेश की आड़ में प्रदेश भर में आदिवासियों की सैकड़ों एकड़ जमीन गैर आदिवासियों ने लीज के नाम पर लेकर हथिया ली है और बाकायदा शुल्क जमा कर रिजिस्ट्री करा ली है। 29 साल बाद क्या होगा कोई नहीं जनता। अकबर कोर्राम ने बताया कि ऐसी ही एक लीज की जमीन नेशनल हाइवे में आ चुकी है, और उसके लीजधारक जमीन को बेचकर मुआवजा भी हासिल कर लिया है, जबकि ऐसा प्रावधान नहीं होना चाहिए। यह सभी जिलों में हो रहा है।

बता दें कि सर्व आदिवासी समाज की ओर से 23 सूत्रीय मांग शासन के समक्ष रखी गईं हैं। इनमें से कुछ प्रमुख इस तरह हैं –

(1) संवैधानिक प्रावधान के तहत आदिवासी समाज को 32 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल रहा है, 32 प्रतिशत आरक्षण तत्काल दिया जाए।

(2) जिला-सुकमा के ग्राम-सिलंगर में दोषियों पर कार्यवाही एवं निर्दोष मृतक ग्रामीणों के परिजन को उचित मुआवजा एडसमेटा साकेगुड़ा, ताड़मेटला घटनाओं के न्यायिक जांच में सभी एनकाउंटर फर्जी पाया गया है. दोषी अधिकारी, कर्मचारी पर तत्काल दण्डात्मक कार्यवाही एवं मृतक / प्रभावित के परिवार को उचित मुआवजा बस्तर में नक्सल समस्या का स्थायी समाधान हेतु शासन स्तर पर पहल करे।

(3) छत्तीसगढ़ प्रदेश में पैसा कानून का नियम बनाया गया है, उसमें संशोधन कर ग्रामसभा को पूर्ण अधिकार दिया जाए।

(4) छत्तीसगढ़ में विभिन्न शासकीय पदों के पदोन्नति में आरक्षण लागू करें।

(5) शासकीय नौकरी में बैकलॉग एवं नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जाए। पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भर्ती में शत-प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाए।

(6) पांचवी अनुसूची क्षेत्र में गैर संवैधानिक रूप से बनाये गये नगर पंचायतों, नगर पालिक निगम को वापस ग्राम सभा बनाया जाए।

(7) छ.ग. राज्य में समस्त वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाये जायें एवं वहां निवासरत किसानों को राजस्व ग्राम की तरह अधिकार एवं सुविधा दी जाए. सीतानदी अभ्यारण्य में प्रभावित वनग्राम / ग्राम में वनोपज संग्रहण और विक्रय का अधिकार दिया जाए।

(8) मात्रात्मक त्रुटि में सुधार किया जाकर जाति प्रमाण पत्र ( सामाजिक पारस्थितिक प्रमाणीकरण पत्र) जारी करे. फर्जी प्रकरण पर दोषियों पर शीघ्र कार्यवाही हो।

(9) प्रदेश के 5वीं अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति के बिना किये गये भूमि अधिग्रहण रद्द करें एवं बिना ग्रामसभा के सहमति के किसी प्रकार का कार्य न किया जाये एवं शासकीय एवं सार्वजनिक उपक्रम के अलावा किसी भी कार्य की सहमति न दी जाए. बस्तर में नगरनार विनिवेश को रोका जाए तथा हसदेव कोल ब्लॉक खनन को भी रोका जाए।

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