मुंबई : महाराष्ट्र सरकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। महाराष्ट्र में सरकार अभी शिंदे की ही रहेगी। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। हम उद्ध ठाकरे के इस्तीफे को रद्द नहीं कर सकते हैं कि क्योंकि वो स्वेच्छा से दिया गया था।

चीफ जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए राज्यपाल और स्पीकर के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने संविधान के मुताबिक कार्य नहीं किया। राज्यपाल को पार्टी विवाद के बीच में नहीं पड़ना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं दिए होते तो उनको राहत मिल सकती थी. उन्होंने फ्लोर टेस्ट का भी सामना नहीं किया। हम उद्धव को मुख्यमंत्री नहीं बना सकते हैं।

 10 पॉइंट में समझें महाराष्ट्र विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया इसलिए हम उनकी सरकार को बहाल नहीं कर सकते हैं। उद्धव इस्तीफा नहीं दिए होते तो राहत मिल सकती थी।


-कोर्ट ने स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे को बहुमत परीक्षण के लिए बुलाना सही नहीं था। राज्यपाल ने भरोसा किया कि उद्धव के पास बहुमत नहीं है।


-गर्वनर का फैसला गलत था कि उद्धव ठाकरे बहुमत खो चुके हैं. गर्वनर की ओर से किया गया विवेक का उपयोग संविधान के अनुसार नहीं था। सीजेआई ने कहा, जहां तक बात विधायकों के अयोग्यता को लेकर है तो इसका फैसला स्पीकर ही करेंगे। अंदरूनी विवाद के लिए फ्लोर टेस्ट कराना ठीक नहीं था।


-राजनीतिक पार्टी में अलग-अलग गुटों के मतभेद का फ्लोर टेस्ट माध्यम नहीं हो सकता है। गवर्नर इस तरह के पोलिटिकल एरिना में नही आ सकते जहां एक ही पार्टी के दो गुटो में मतभेद हो।


-गवर्नर के समक्ष ऐसा कोई दस्तावेज नही था जिसमें कहा गया वो सरकार के गिराना चाहते है। केवल सरकार के कुछ फैसलों में मतभेद था।


गवर्नर के पास केवल एक पत्र था जिसमें दावा किया गया था कि उद्धव सरकार के पास पूरे नंबर नही है। इस पर गर्वनर को कार्रवाई करनी चाहिए थी।


-यदि अयोग्यता का निर्णय ECI के निर्णय के लंबित होने पर किया जाता है और चुनाव आयोग का निर्णय पूर्वव्यापी होगा और यह कानून के विपरीत होगा।


-नबाम रेबिया मामले में सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए। स्पीकर को हटाने के लिए अगर नोटिस है तो क्या वो विधायकों की अयोग्यता की अर्जी का निपटारा कर सकता है। ये 7 जजों की पीठ सुनवाई करेगी।


-गवर्नर के समक्ष ऐसा कोई दस्तावेज नही था जिसमें कहा गया वो सरकार के गिराना चाहते है। केवल सरकार के कुछ फैसलों में मतभेद था।