Weather Alert
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टीआरपी डेस्क। देश में गर्मी को देखते हुए लोगों की निगाहें मानसून पर टिक गई हैं। मगर ऐसी जानकारी आ रही है कि अभी बारिश के लिए कुछ दिन का इंतजार और करना होगा। ऐसा सूचना है कि इस बार मानसून 4 जून तक देश में दस्तक देगा।

आईएमडी ने जानकारी दी है कि केरल में मानसून की शुरुआत 1 जून की जगह 4 जून को होने की संभावना है। हालांकि, तीन दिन की देरी कोई खास देरी नहीं है। आईएमडी के अधिकारी ने कहा कि हमने पिछली रिकॉर्ड में देखा है कि मानसून में सात दिनों तक की भी देरी हुई है।

बता दें कि पिछले साल आईएमडी ने मानसून के 27 मई को आने की पूर्वानुमान लगाया था, जो कि 29 मई को आया था। इसी तरह 2019 में आईएमडी ने पूर्वानुमान लगाया थी कि मानसून 6 जून को आएगा, जबकि यह 8 जून को आया था।

भारत में बारिश के मौसम का आगमन तभी माना जाता है, जब केरल में मानसून की शुरुआत होता है। हालांकि, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में यह मानसून भारत के दो सप्ताह पहले ही शुरू हो जाता है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग केरल में मानसून के लिए पूर्वानुमान जारी करता रहा है। साल 2005 से ही आईएमडी ऐसा कर रहा है। ऐसी संभावना कि इस महीने के अंत में आईएमडी मानसून को लेकर मासिक और स्थानिक वितरण पर सटीक पूर्वानुमान जारी किया जा सकता है। उम्मीद है कि केरल में मानसून के आगमन से ठीक पहले 31 मई को यह पूर्वानुमान जारी किया जा सकता है।

आईएमडी ने अप्रैल में एक भौगोलिक वितरण पूर्वानुमान बनाया था, जिसमें केवल यह कहा गया था कि इस बार मानसून सामान्य से नीचे रहेगा। गर्मियों के मौसम में उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों, गुजरात और महाराष्ट्र के मध्य भागों और पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामान्य वर्षा का पूर्वानुमान लगाया गया। इसमें कहा गया कि प्रायद्वीप क्षेत्र के कई हिस्सों और इससे सटे पूर्व मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर क्षेत्र और उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में मानसून सामान्य रहेगा।

मॉनसून को अलनीनो से भी जोड़ा जा रहा है। अलनीनो का मतलब है पूर्वी प्रशांत महासागर में सतह के पानी का असामान्य रूप से गर्म होना है। यह आमतौर पर कमजोर मानसून से जुड़ा होता है, लेकिन यह हमेशा कमजोर मानसून का कारण नहीं बनता। पिछली रिकॉर्ड देखे जाए, तो पता चला है कि अल नीनो के 40 प्रतिशत वर्षों में सामान्य से अधिक वर्षा हुई थी। आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि 1951 और 2022 के बीच 15 अल नीनो वर्ष रहे थे, जिनमें से छह साल सामान्य से अधिक सामान्य वर्षा वाले साल रहे थे।

यदि साल 2023 अलनीनो वर्ष है, तो दुनिया के कई हिस्सों में तापमान अधिक होगा। इसका असर मानसून पर भी पड़ेगा, लेकिन यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि इस साल मानसून कमजोर रहने वाला है।

बता दें कि एक निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ने इस साल मानसून के सामान्य से कम रहने की भविष्यवाणी की है, जबकि आईएमडी का कहना है कि यह सामान्य रहेगा। ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि उन्हें किस एजेंसी पर विश्वास करना चाहिए।

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