
विशेष संवादाता
रायपुर। बीजेपी के रणनीतिकारों ने आगामी विधानसभा में कांग्रेस से करारी शिकस्त का बदला लेने का गेम प्लान तैयार कर लिया है। इसी तरह कांग्रेस के एक्सपर्ट्स भी बीजेपी के दिग्गज नेताओं को घेरने के लिए हर बूथ पर फोकस करना शुरू कर दिया है। बता दें इस राजनितिक प्रतिस्पर्धा में कभी दिग्गज नेताओं की आरक्षित सीटों को की परंपरा नहीं रही है। लेकिन, धमकी और महज़ सियासी ललकार की परंपरा दिवंगत अजीत जोगी ने शुरू किया था। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान किये थे और बाद में ख़बरों में छाए रहे पर लाडे नहीं।
वेस्ट बंगाल चुनाव में भी अमित शाह ने ऐसी रणनीति बनाई थी कि बीजेपी ने रिकार्ड सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ ही साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी पराजित कर दिया। हारने के बाद भी उनकी पार्टी जीती सरकार बनाई लेकिन पार्टी सुप्रीमो ममता को हरा दिया गया। कुछ इसी तरह की रणनीति छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस के रणनीतिकारों ने बनाई है। इसकी चर्चा तो रमन सरकार के हारने और भूपेश बघेल के जीतकर CM बनने के बाद से ही हो रही थी। बीजेपी के आला जानकार दबी ज़बान से कहते भी हैं अगर भूपेश समेत अन्य दिग्गजों को घेर लेते तो यह नौबत नहीं होती।
जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के गढ़ की जमीनी हकीकत टटोलने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव चंदन यादव शुक्रवार को राजनांदगांव जिले पहुंचे थे। यहां शहर कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित जिला विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में शिरकत की। राजनांदगांव शुरू से ही वीआईपी जिले के रूप में प्रसिद्ध रहा है क्योंकि छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह की ये विधानसभा सीट है। 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस सीट पर काबिज रही है।
बता दें कि साल 2008 से राजनांदगांव कांग्रेस के लिए एक अभेद किला रहा है। साल 2008 में उदय मुदलियार को हराकर रमन सिंह यहां के विधायक बने, साल 2013 के विधानसभा चुनाव में रमन सिंह ने कांग्रेस उम्मीद्वार उदय मुदलियार की पत्नी अलका मुदलियार को शिकस्त दी और 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली करुणा शुक्ला ने रमन सिंह को कड़ी टक्कर दी लेकिन वो भी ये किला नहीं भेद पाईं।
इन दिग्गजों को हारने साम, दान, दंड, भेद की नीति
BJP और CONG.के कई बड़े नेताओं के क्षेत्र में सेंधमारी शुरू भी हो गई है। खासकर जिन्हे सरकार बनने के बाद मंत्री पद मिलना तय है या जो मंत्री रह चुके हैं वो सब भीतरघात, विरोधियों की सेंधमारी के साथ ही कांटे की टक्कर देने वाले प्रत्याशी का सामना करेंगें। ऐसी भी संभावनाएं जताई जा रही है कि बीजेपी और कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदार ज्यादा टारगेट रहेंगे। सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस से मोहन मरकाम, भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, कवासी लखमा, मोहम्मद अकबर और रविंद्र चौबे टार्गेटेड हैं। हालांकि इनमे से 3 नेताओं के साथ भितरघात का अंदेशा भी है। बीजेपी भी CM भूपेश बघेल को साम, दान, दंड और भेद की निति अपने जाएगी। बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, धरमलाल कौशिक, नारायण चंदेल समेत बस्तर के 3 आदिवासी नेताओं को हारने की रणनीति है।