BJP President Arun Sao

विशेष संवादाता

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्य्क्ष व सासंद अरुण साव ने कहा कि मोहम्मद अकबर की वाणी से धान, किसान आदि की बातें शोभा नहीं देती। वे दंगा-फसाद आदि मामलों के एक्सपर्ट हैं और उनको वही शोभा देता है उन्हें। इसीलिए उनके क्षेत्र में किसान पुत्रों को दंगा, कर्फ्यू और बर्बरता का शिकार होना पड़ा। लाठी और गोले का शिकार होना पड़ा किसान पुत्र युवाओं को।

श्री साव ने कहा कि जहां तक धान खरीदी का सवाल है तो कांग्रेस का हर बयान उसके ख़ुद के बयान का विरोधाभासी है। एक सामान्य सा सवाल है कि अगर फसल खरीदी में केंद्र की कोई भूमिका नहीं होती, तो पिछले 9 वर्षों से हर बार जब-जब मोदी जी की सरकार फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाती है, तब-तब उसे कम बता कर कांग्रेस विरोध क्यों करती है, जैसा इस बार भी किया?

उन्होंने कहा कि दूसरा सवाल यह है कि अगर उदारता से मोदी सरकार पहले के दस-बीस लाख मिट्रिक टन के बदले 61 लाख मिट्रिक टन तक चावल केंद्रीय पूल में नहीं ख़रीदती तो क्या प्रदेश सरकार से संभव होता धान खरीदना। अगर केंद्र की कोई भूमिका ही नहीं है तो भूपेश बघेल लगातार झूठ बोलते रहे हैं या अकबर झूठ बोल रहे। क्या दोनों में से एक माफी माँगेंगे लगातार प्रदेश के किसानों को गुमराह करने के लिए।

भाजपा प्रदेश अध्य्क्ष अरुण साव ने सवाल किया है कि क्या विधानसभा में झूठ बोला था संबंधित मंत्री ने कि धान की खरीदी राज्य महज एक एजेंसी के रूप में केंद्र के लिये करता है। क्या ऐसा स्वीकार नहीं किया था कांग्रेसी ने? क्या मंत्री अमरजीत भगत ने यह आंकड़ा दिया नहीं दिया कि मात्र तीन वर्ष में 11 हजार करोड़ राज्य ने दिए तो, 51 हजार करोड़ केंद्र ने दिए हैं? कांग्रेस की केंद्र के पैसों से अपनी वाहवाही करवाना बंद करना चाहिए। उनकी झूठ की दुकान खुद किसान ही बंद करने के लिए तैयार बैठे हैं।

साव ने दिए धान खरीद के आंकड़े

आंकड़ों का सवाल है तो सदन में दी गई जानकारी से भी स्पष्ट है कि वर्ष 2019-20 में समर्थन मूल्य पर भुगतान की गई 15,285 करोड़ जबकि राज्य ने केवल 5596 करोड़ ही दिए हैं। इसी तरह 20-21 में कुल राशि 17, 240 करोड़ के मुकाबले कथित न्याय योजना में किश्तों में केवल 5521 करोड़ ही कांग्रेस सरकार दिए गये। 21-22 में कुल राशि 19, 038 करोड़ की तुलना में राज्य ने केवल 5, 231 करोड़ ही दिए हैं। स्वयं कांग्रेस सरकार द्वारा दिये आंकड़े से स्पष्ट है कि 73,735 करोड़ रुपये धान खरीदी के मद में मोदी सरकार ने पिछले चार सत्र में दिये हैं, जबकि मात्र 15-17 हजार करोड़ देकर भूपेश सरकार डींगें हांक रही है।